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अगर कई लोग किसी परिसंपत्ति के मालिक हैं तो एक आदमी परिसंपत्ति को कब्जे में लेने के लिए किराए का पट्टा रद्द नहीं कर सकता : दिल्ली हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
24 July 2018 7:03 AM GMT
अगर कई लोग किसी परिसंपत्ति के मालिक हैं तो एक आदमी परिसंपत्ति को कब्जे में लेने के लिए किराए का पट्टा रद्द नहीं कर सकता : दिल्ली हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]
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जब एक से अधिक लोगों का किसी परिसंपत्ति पर स्वामित्व है तो उसका सिर्फ एक सह-स्वामी परिसंपत्ति को अपने कब्जे में लेने के लिए किराए के करार को रद्द नहीं कर सकता”

 दिल्ली हाईकोर्ट ने यह कहते हुए मामले को खारिज करने के खिलाफ दायर याचिका को निरस्त कर दिया कि किसी परिसंपत्ति के सिर्फ एक हिस्सेदार की मांग वाली याचिका अदालत में नहीं ठहर सकती। यह याचिका एक परिसंपत्ति को किरायेदार से वापस लेने के लिए परिसंपत्ति के एक मालिक ने दायर की थी जबकि अन्य साझीदार इससे सहमत नहीं थे। इस संपत्ति के दूसरे मालिकों ने कहा कि किराए के करार को ख़त्म करने के बारे में उन लोगों की सहमति नहीं ली गई। निचली अदालत ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस परिसंपत्ति के अन्य मालिक ऐसा नहीं चाहते थे। इस अपील पर सुनवाई के दौरान किरायेदार ने मकान को खाली कर दिया।

 न्यायमूर्ति वाल्मीकि जे मेहता जिन्होंने इस अपील पर गौर किया, निचली अदालत के फैसले से सहमति जताई। उन्होंने इस सन्दर्भ में शेख सत्तार शेख मोहम्मद चौधरी बनाम गुंडप्पा अम्बादास बुकते और जगदीश दत्त और अन्य बनाम धरम पाल एवं अन्य मामले में आए फैसलों का भी हवाला दिया।

इन दोनों ही मामलों में आए फैसले में कहा गया था कि सह-स्वामी किसी किराएदार को हटाने के लिए अकेले कोई कार्रवाई नहीं कर सकता न ही वह अपने हिस्से के किराए की राशि को लेकर कोई मुकद्दमा दायर कर सकता है। किराए के पट्टे चाहे वह परिसंपत्ति हो या किराए की राशि, उसे बांटा नहीं जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि जो करार संयुक्त रूप से किया गया है, उसे कोई अकेले तोड़ नहीं सकता।

हालांकि, कोर्ट ने कहा कि ओमप्रकाश मामले में आए फैसले में केवल मामले के उस अनुपात का जिक्र किया गया है जो किसी अन्य स्वामियों के आपत्ति नहीं होने पर कोई एक मालिक दायर कर सकता है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अन्य साझीदारों ने आपत्ति की थी और इसलिए इस अपील को खारिज कर दिया गया।


 
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