IAS अधिकारियों की 'अनौपचारिक' हड़ताल के खिलाफ याचिका : दिल्ली हाईकोर्ट सोमवार को सुनवाई के लिए तैयार [याचिका पढ़ें]

LiveLaw News Network

16 Jun 2018 3:29 PM GMT

  • IAS अधिकारियों की अनौपचारिक हड़ताल के खिलाफ याचिका : दिल्ली हाईकोर्ट सोमवार को सुनवाई के लिए तैयार [याचिका पढ़ें]

    चूंकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके कैबिनेट सहयोगियों की एलजी कार्यालय में हड़ताल को सात दिन बीत चुके हैं,  दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) को निर्देश देने की मांग की गई है कि IAS अधिकारियों की अनौपचारिक हड़ताल को खत्म कर दिल्ली के मंत्रियों के साथ बैठक में भाग लेने के लिए कहा जाए ताकि सार्वजनिक कार्य प्रभावित न हों।

     वकील और सामाजिक कार्यकर्ता उमेश गुप्ता ने उच्च न्यायालय में जोर देकर कहा है कि दिल्ली सरकार में तैनात आईएएस अधिकारियों की अनौपचारिक हड़ताल ने तत्काल सार्वजनिक कार्यों को रोक दिया है। उच्च न्यायालय सोमवार को याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है।

     उन्होंने एलजी को निर्देश मांगा है कि दिल्ली सरकार में आईएएस अधिकारियों द्वारा अनौपचारिक हड़ताल को बंद किया जाए और वे अपने आधिकारिक कार्यों को सरकारी कर्मचारियों के रूप में करना शुरू करें।

    याचिकाकर्ता ने यह भी प्रार्थना की कि केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियमों का उल्लंघन करने के लिए आईएएस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए  जो अधिकारियों को हड़ताल पर जाने से रोकती है। उमेश गुप्ता की ये  याचिका अन्य वकील हरि नाथ राम की याचिका के बाद आई है जिसमें प्रार्थना की गई है कि राज निवास में केजरीवाल और उनके कैबिनेट सहयोगियों के विरोध को अवैध और असंवैधानिक घोषित किया जाए क्योंकि इससे सरकारी मशीनरी थम गई है।

    याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार में मंत्रियों के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद पिछले तीन-चार महीनों में मीडिया रिपोर्टों और सार्वजनिक डोमेन में कई पत्रों से स्पष्ट है कि दिल्ली सरकार में सेवा करने वाले आईएएस अधिकारी, विशेष रूप से प्रमुख विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, तत्काल सार्वजनिक कार्यों के लिए मंत्रियों द्वारा बुलाई गई बैठकों में भाग लेने से इंकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने  सार्वजनिक कार्य और मॉनसून से संबंधित बीमारी, मोहल्ला क्लीनिक, प्रदूषण की रोकथाम के लिए अन्य सार्वजनिक कार्यों की तैयारी के मुद्दों को धीमा कर दिया है, जिसके लिए कैबिनेट मंत्रियों के साथ-साथ आईएएस अधिकारियों के बीच तत्काल ध्यान और सहज समन्वय की आवश्यकता है।उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा फरवरी में एलजी को लिखे एक पत्र पर भी भरोसा किया है जिसमें उन्हें स्थिति में हस्तक्षेप करने के लिए कहा गया लेकिन एलजी ने कोई औपचारिक कार्रवाई नहीं की।

    याचिका में कहा गया है कि आईएएस अधिकारियों के इस तरह के आचरण केंद्रीय सिविल आचरण नियमों के स्पष्ट उल्लंघन में हैं जो प्रदान करते हैं कि कोई भी सरकारी कर्मचारी अपनी सेवा से संबंधित किसी भी मामले के संबंध में किसी भी प्रकार की हड़ताल या जबरदस्ती  नहीं करेगा या किसी अन्य सरकारी कर्मचारी की सेवा में बाधा नहीं पहुंचाएगा।

    याचिका में टीके रंगराजन बनाम तमिलनाडु राज्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा गया कि सार्वजनिक कर्मचारियों को अपने आधिकारिक कर्तव्यों के प्रदर्शन में बाधा डालने वाले या कार्यों को रोकने का विरोध करना चाहिए क्योंकि सरकारी कर्मचारी शासी निकाय का हिस्सा हैं। उनका समाज के लिए एक कर्तव्य है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि सरकार के कर्मचारियों द्वारा हड़ताल को फिरौती के लिए समाज को जकड़ने  के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।


     
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