अगर लॉ कॉलेज उतने घंटे तक क्लास नहीं आयोजित करते जितने जरूरी हैं तो उस स्थित में बीसीआई क्या कर सकती है, इसकी पड़ताल करेगा दिल्ली हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

5 Jun 2018 7:46 AM GMT

  • अगर लॉ कॉलेज उतने घंटे तक क्लास नहीं आयोजित करते जितने जरूरी हैं तो उस स्थित में बीसीआई क्या कर सकती है, इसकी पड़ताल करेगा दिल्ली हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]

    दिल्ली हाईकोर्ट इस बात पर गौर करेगी कि बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया (बीसीआई)  यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठा सकता है ताकी देश के लॉ कॉलेज निर्धारित संख्या में क्लास आयोजित करें।

    न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने निम्नलिखित प्रश्नों को रेखांकित किया है जिस पर कोर्ट को गौर करना है -




    • उस स्थिति में बीसीआई क्या करेगा जब उसको यह  पता चलता है कि उसने जिन कॉलेजों को मान्यता दी है वे कॉलेज बीसीआई के नियमों का पालन नहीं  कर रहे हैं और निर्धारित संख्या में क्लास का आयोजन नहीं करते हैं?

    • क़ानून  की शिक्षा देने वाले देश भर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में क्या बार कौंसिल ऑफ़ इंडिया विधिक शिक्षा नियम और बीसीआई के नियमों का पालन कराने के लिए स्वतः संज्ञान लेते हुए उनकी जांच करा सकता है?

    • क्या बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया  को अंगीभूत कॉलेजों के बारे में कोई राय व्यक्त करने का अधिकार है?


    कोर्ट ने एमिटी लॉ स्कूल, दिल्ली के बीए एलएलबी के अंतिम वर्ष के छात्र की याचिका पर सुनवाई  दौरान ये बातें कही। यह कॉलेज गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय से अंगीभूत है। इस छात्र को पर्याप्त उपस्थिति नहीं होने के कारण परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी गई। अब इन्होने आरोप लगाया है कि उन्हें पर्याप्त उपस्थिति नहीं प्राप्त हुई क्योंकि कॉलेज ने बीसीआई द्वारा निर्धारित आवश्यक संख्या में क्लास आयोजित नहीं किये।

    इस छात्र ने विश्वविद्यालय के के समक्ष अपना पक्ष रखा जिसने इसके बाद एक विशेषज्ञ समिति गठित की ताकि इन आरोपों की सच्चाई का पता लगाया जा सके।  इस समिति ने पाया कि विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित अवधि से एक सप्ताह पहले ही क्लास बंद कर दिए। इसलिए समिति ने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि वह सात दिन के लिए विशेष क्लास का आयोजन करे। हालांकि कॉलेज ने इसे लागू  नहीं किया जिसकी वजह से छात्र को कोर्ट की शरण में जाना पड़ा।

    याचिकाकर्ता ने कहा है कि बीसीआई के नियम के अनुरूप एक सेमेस्टर के 18 सप्ताह में 648 घंटे की क्लास होनी चाहिए थी। इसके विपरीत उनके कॉलेज ने 69 वर्किंग डे  में मात्र 151 घंटे के क्लास ही आयोजित किये।

    दूसरी ओर, कॉलेज का कहना है कि उसने समिति के सुझावों को इसलिए लागू नहीं किया क्योंकि बीसीआई का नियम कहता है की यह सुझाव नियम 12 का उल्लंघन करता है क्योंकि इसके हिसाब से छात्रों को उपस्थिति  की शर्त को सेमेस्टर ख़त्म होने से पहले पूरा कर लेना चाहिए, बाद में नहीं।

    कोर्ट ने हालांकि इस दलील को खारिज कर दिया और कहा की बीसीआई ने जो बात कही है वह स्वाभाविक न्याय  के खिलाफ है। उसने कहा कि याचिकाकर्ता की शिकायत जायज है और कॉलेज न्यूनतम क्लास आयोजित करने में विफल रहा है।

    कोर्ट ने इसलिए कॉलेज को समिति सुझावों  को लागू करने और सात दिन तक अतिरिक्त क्लास आयोजित करने को कहा।

    कोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई की तिथि 9  जुलाई निर्धारित की।


     
    Next Story