दिल्ली-हरियाणा जल विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने मुद्दे को लेकर अपर यमुना रीवर बोर्ड जाने को कहा
LiveLaw News Network
16 May 2018 8:11 PM IST
दिल्ली और हरियाणा के बीच जल विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सभी पक्ष अपर यमुना रीवर बोर्ड के पास जाएं और वही तय करेगा कि दिल्ली को कितना पानी मिलना चाहिए।
जस्टिस मदन बी लोकुर की पीठ ने कहा कि बोर्ड का काम बोर्ड ही करेगा। सभी पक्ष बोर्ड के पास जाए और सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत कर मामले का हल निकाला जाना चाहिए।
इस दौरान हरियाणा सरकार ने कोर्ट में कहा कि 21 मई तक दिल्ली को उतना ही पानी दिया जाता रहेगा जितना फिलहाल दिया जा रहा है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड की याचिका पर सुनवाई बंद कर दी।
दरअसल 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों के बीच पानी साझा करने के संबंध में ऊपरी यमुना नदी बोर्ड को देखभाल करनी चाहिए ना कि सुप्रीम कोर्ट को।
जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा, "क्या ऊपरी यमुना नदी बोर्ड या कुछ नहीं है? वो क्या कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि वो अपना काम नहीं करना चाहते। अगर वो अपना काम नहीं करना चाहते तो हमें उनका काम क्यों करना चाहिए? "
अदालत दिल्ली की केजरीवाल सरकार द्वारा दायर याचिका सुन रही थी। इस महीने की शुरुआत में अदालत द्वारा आदेशित एक सचिव स्तर वार्ता स्पष्ट रूप से विफल रही है। दिल्ली जल बोर्ड ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप नहीं करता और हरियाणा को निर्देशित नहीं करता है, तो राजधानी में जल संकट "बढ़ता जा रहा है"। न्यायमूर्ति लोकुर ने अदालत में उपस्थित ऊपरी यमुना नदी बोर्ड के एक अधिकारी से कहा : "पानी के वितरण के संबंध में एक तंत्र है। आप कृपया बोर्ड के सदस्यों को बताएं कि हम सोमवार तक निर्णय लेना चाहते हैं और मामला बुधवार को सुना जाएगा।”
वहीं हरियाणा की ओर से कहा गया कि जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आता, वो पानी आपूर्ति में बाधा नहीं डालेगा।
पहले सुनवाई में दिल्ली जल बोर्ड के लिए पेश पूर्व अटॉर्नी जनरल और वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और वकील सुमित पुष्करना ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ से कहा कि वे 'इंतजार और निगरानी' नीति अपना रहे हैं, जिसके बाद हरियाणा ने कुछ पानी छोड़ा है। दो दिन पहले राज्यों के बीच मुख्य सचिव स्तरीय वार्ता भी हुई हैयाचिका में दिल्ली सरकार ने हरियाणा सरकार पर पानी की आपूर्ति के संबंध में 1996 के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। कहा गया है, "यमुना में हरियाणा द्वारा पानी की आपूर्ति को रोकने के कारण दिल्ली एक गंभीर जल संकट के दौर में है, जो कि दिल्ली में पीने के प्रयोजनों के लिए है।”
दिल्ली जल बोर्ड द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि हरियाणा वजीराबाद जलाशय में पीने के पानी की आपूर्ति करने के लिए इस अदालत के निर्देशों को नजरअंदाज कर रहा है और ऊपरी राज्य होने का अनुचित फायदा उठा रहा है। यमुना को दिल्ली की तरफ लगभग
सूखी नदी बना दिया गया है जहां दिल्ली में पानी नहीं है और वजीराबाद जलाशय में पीने के पानी के लिए पानी की आपूर्ति में रुकावट हो रही है। दिल्ली में आने वाली गर्मियों में पानी का भारी संकट होने वाला है।
" याचिका उच्चतम न्यायालय से आग्रह करती है कि हरियाणा को 450 क्यूसेक प्रतिदिन पेयजल दर की दैनिक आपूर्ति सुनिश्चित करने, हर समय वजीराबाद बैराज / जलाशय को पूरा करने और एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा वजीराबाद बैराज में पानी की मात्रा और गुणवत्ता की निगरानी के लिए निर्देश जारी किए जाने चाहिएं।”
डीजेबी ने कहा है कि यमुना के स्तर में गिरावट के कारण इसके जल उपचार संयंत्रों ने या तो कामकाज को बंद कर दिया है या क्षमता कम हो गई है। यह कहा गया है कि हरियाणा भी प्रदूषित पानी जारी करता है जिसे ट्रीट नहीं किया जा सकता। नतीजतन बोर्ड राष्ट्रीय आपूर्ति के लिए राशनिंग कर रहा है, जिससे राष्ट्रीय राजधानी के बड़े हिस्से में पानी की कमी हो सकती है।