पति पर अवैध संबंध होने का झूठा आरोप क्रूरता है : दिल्ली हाई कोर्ट ने तलाक मंजूर किया [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
8 May 2018 8:56 PM IST
दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति को अपनी पत्नी से यह कहते हुए तलाक की अनुमति दे दी कि उससे अलग हुई पत्नी ने अपनी विधवा साली से उसके अवैध संबंध होने के झूठे आरोप लगाए थे और यह आरोप उसके खिलाफ क्रूरता जैसा है।
न्यायमूर्ति जेआर मिधा सुनवाई अदालत के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रहे थे। इस आदेश के तहत हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13A के तहत निचली अदालत ने अलग रहने का न्यायिक आदेश दे दिया था। पति ने इसके बाद तलाक की मांग की जबकि पत्नी ने अलग रहने के न्यायिक आदेश को रद्द किए जाने की मांग की।
पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी उस पर काफी शक करती है और इसको आधार बनाकर उससे गाली गलोज करती है। पत्नी ने इसका विरोध किया और आरोप लगाया कि अपनी विधवा साली के साथ उसके अवैध संबंध हैं।
कोर्ट ने हालांकि कहा कि पत्नी के ये आरोप झूठे थे। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, “यह कोर्ट निचली अदालत की इस बात से सहमत है कि प्रतिवादी/पत्नी अपने पति और विधवा साली के बीच अवैध संबंधों के किसी भी आरोप को सिद्ध करने में विफल रही है...और यह क्रूरता के बराबर है।”
कोर्ट ने आगे कहा कि निचली अदालत ने तलाक का आदेश देने से यह कहते हुए मना कर दिया कि दोनों के पति-पत्नी के रूप में साथ रहने की अभी भी संभावना है। हाई कोर्ट ने हालांकि अलग रहने के न्यायिक आदेश को निरस्त कर दिया और कहा कि अगर पति तलाक चाहता है तो क्रूरता के आधार पर उसको इसका हक़ है।
इसके बाद अदालत ने अलग रहने के न्यायिक आदेश को समाप्त कर दिया और पति-पत्नी को तलाक की अनुमति दे दी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पत्नी स्थाई गुजारा भत्ता के लिए हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 25 के तहत निचली अदालत में आवेदन डाल सकती है।