वाणिज्यिक अदालतों के आर्थिक अधिकारक्षेत्र को बढ़ाने के लिए अधिसूचना जारी [अधिसूचना पढ़ें]

LiveLaw News Network

7 May 2018 4:01 PM GMT

  • वाणिज्यिक अदालतों के आर्थिक अधिकारक्षेत्र को बढ़ाने के लिए अधिसूचना जारी [अधिसूचना पढ़ें]

    केंद्र सरकार ने 3 मई 2018 को एक अधिसूचना जारी किया ताकि हाई कोर्ट्स अधिनियम, 2015 के वाणिज्यिक अदालतों, वाणिज्यिक प्रभागों और वाणिज्यिक अपीली डिवीजन का संशोधन किया जा सके।

    तेजी से हो रहे आर्थिक विकास को देखते हुए, वाणिज्यिक गतिविधियों में तेजी आई है और इस वजह से वाणिज्यिक विवादों की संख्या में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारी वृद्धि हुई है।प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, विदेशों में वाणिज्यिक कारोबार में आई कई गुनी वृद्धि ने इस स्थिति को और बढ़ाया है।

    इन विवादों को शीघ्रता से निपटाने और विदेशी निवेशकों में भारतीय विधि व्यवस्था के बारे में बेहतर छवि के निर्माण के लिए इस अधिनियम को बनाया गया।

    इस अधिनियम के तहत जिला जजों के नीचे के स्तर पर सभी न्यायिक क्षेत्राधिकार वाले वाणिज्यिक अदालतों का गठन किया गया। साधारणतया इस तरह की अदालतें हाई कोर्ट्स की दीवानी क्षेत्राधिकार में होती हैं। पांच हाई कोर्ट्स – बॉम्बे, दिल्ली, कलकत्ता, मद्रास और हिमाचल प्रदेश  क्रमशः मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और हिमाचल प्रदेश राज्य इनके तहत आते हैं। इनमें से प्रत्येक हाई कोर्ट में इस अधिनियम की धारा 3 की उप-धारा 1 के तहत वाणिज्यिक डिवीजन का गठन किया गया है। यह निर्धारित किया गया था कि ये अदालतें 1 करोड़ रुपए और उससे अधिक तक के विवादों की सुनवाई करेंगी।

    अध्यादेश के 2018 में हुए संशोधन की मुख्य बातें -




    • ये अदालतें ऐसे विवादों की सुनवाई करेंगी जिसकी विवाद की राशि कम से कम 3 लाख रुपए है। पहले यह राशि 1 करोड़ रुपए थी। ये अदालतें उससे ज्यादा राशि के विवाद की सुनवाई नहीं करेंगी जो जिला अदालतों के अधिकारक्षेत्र के बाहर है।

    • राज्य सरकारें अब जिला जजों के स्तर पर वाणिज्यिक अदालतों का गठन करेंगी जिस पर मूल रूप से हाई कोर्ट का दीवानी क्षेत्राधिकार होता है।

    • इन अदालतों के फैसलों के खिलाफ अपील संबंधित हाई कोर्टों की वाणिज्यिक अपीली डिवीजन में हो पाएगी।

    • राज्य सरकारें वाणिज्यिक अदालतों के निर्णयों के खिलाफ अपील की सुनवाई के लिए उचित संख्या में वाणिज्यिक अपीली अदालतों का गठन करेंगी। ये अदालतें जिला जज के स्तर के नीचे होंगी।

    • हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश ऐसे वाणिज्यिक डिवीजन का गठन कर सकता है जिसमें एकल जज के एक या एक से अधिक पीठ हो सकते हैं।

    • इस अध्यादेश के द्वारा वाणिज्यिक विवादों के पूर्व-संस्थानिक मध्यस्थता और निपटारे की परिकल्पना को आगे रखा गया है।

    • अध्यादेश में एक नया प्रावधान भी डाला गया है जिसके तहत केंद्र सरकार अधिनियम को लागू करने के लिए विशेषकर पूर्व-संस्थानिक मध्यस्थता के लिए नियम बना सकता है।
      संशोधन अध्यादेश के कारण अब इस क़ानून का नाम कमर्शियल कोर्ट्स एक्ट, 2015 कर दिया गया है।


    इससे पहले मार्च में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाई कोर्ट्स के वाणिज्यिक अदालतों, वाणिज्यिक प्रभागों और वाणिज्यिक अपीली डिवीजन (संशोधन) विधेयक, 2018 को हरी झंडी दे दी थी ताकि इसे संसद में पेश किया जा सके।


     
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