POCSO को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए दिशानिर्देश : फास्ट ट्रैक हों ट्रायल, हाईकोर्ट करे निगरानी
LiveLaw News Network
1 May 2018 5:40 PM IST
बच्चों के यौन उत्पीड़न को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने POCSO (यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण) अधिनियम के तहत अहम दिशा निर्देश जारी किए हैं।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच में पॉक्सो से संबंधित केसों के लंबित होने से सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए ये दिशा निर्देश जारी किए।
- सभी हाईकोर्ट में तीज जजों की कमेटी बने जो ट्रायल कोर्ट के केसों की निगरानी करे।
- पॉक्सो के तहत सभी मामलों का फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट से निपटारा किया जाए और सुनवाई टाली ना जाए
- पॉक्सो एक्ट के मामलों के लिए स्पेशल कोर्ट बने
- हाईकोर्ट ये सुनिश्चित करें कि पॉक्सो कोर्ट चाइल्ड फ्रेंडली हों
- राज्यों के डीजीपी या समान स्तर के अफसर एक स्पेशल टीम का गठन करेंगे जो पॉक्सो एक्ट के मामलों की जांच करेगी और सुनिश्चित करेगी कि सुनवाई के दौरान गवाह कोर्ट में पेश हों इस दौरान केंद्र की ओर से पेश ASG पिंकी आनंद ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि नए कानून के मुताबिक ऐसे मामलों में दो महीने में जांच पूरी होगी और दो महीने में ट्रायल पूरा किया जाएगा। वहीं ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ 6 महीने के भीतर अपील की जा सकेगी।
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि हाईकोर्ट की रिपोर्टों के मुताबिक 25 राज्यों में 112628 केस लंबित हैं जिनमें से यूपी में सबसे ज्यादा 30884 केस हैं जिनमें 58.55फीसदी केस सबूत पेश करने के चरण में हैं। जबकि महाराष्ट्र, गोवा, दमन एवं दीव व दादर और नगर हवेली में 16099 और मध्य प्रदेश में 10117 केस लंबित हैं। दिल्ली में 6100 लंबित केसों में 4155 अभियोजन द्वारा सबूत पेश करने के चरण में हैं। इसके साथ ही पीठ ने याचिका का निस्तारण कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ सुप्रीम कोर्ट के वकील अलख आलोक श्रीवास्तव द्वारा दायर याचिका की सुनवाई कर रही थी जिसमें बच्चों से बलात्कार करने वालों को मौत की सजा मांगी गई है। श्रीवास्तव ने जनवरी में उत्तर-पश्चिम दिल्ली के शकूरबस्ती में 28 वर्षीय चचेरे भाई द्वारा आठ महीने की एक बच्ची से बलात्कार की चौंकाने वाली घटना पर अदालत का ध्यान आकर्षित करने के लिए जनहित याचिका दायर की थी और यह सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने की मांग की थी। इसमें कहा गया था कि POCSO (यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण) अधिनियम के तहत, 12 साल से कम उम्र के बच्चों से बलात्कार से जुड़े मामलों की जांच और ट्रायल, एफआईआर दर्ज कराने की तारीख से छह महीने के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।
12 मार्च को पीठ ने सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया था कि वो लैंगिक अपराध अधिनियम 2012 के तहत बच्चों के संरक्षण के लंबित मामलों की जिलावार स्टेटस रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय की रजिस्ट्री में दाखिल करे। पीठ ने श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकडों , जिनमे कहा गया कि 2016 में 95 फीसदी केस लंबित थे, पर उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से सुझाव पेश करने का अनुरोध किया था।