वादी एक ही मामले में समझौते के विशेष प्रदर्शन और रोक लगाने के आदेश दोनों की मांग नहीं कर सकता : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
16 April 2018 9:03 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वादी एक ही मामले में विशेष प्रदर्शन और फिर रोक लगाने के आदेश, दोनों की मांग नहीं कर सकता। कोर्ट ने यह फैसला सुचा सिंह सोढ़ी बनाम बलदेव राज वालिया के मामले में सुनाया।
इस मामले में प्रतिवादी के खिलाफ आदेश के बारे में याचिका कोर्ट के कहने पर वापस ले लिया गया। बाद में जब एक विशेष प्रदर्शन को लेकर याचिका दायर की गई, तो प्रतिवादी ने इस पर आपत्ति की और आदेश 2 और नियम 2 का हवाला दिया। इसमें कहा गया कि विशेष प्रदर्शन जैसे राहत का दावा रोक लगाने के आदेश की मांग के साथ पूर्व याचिका में ही करना चाहिए था जिसे कि वापस ले लिया गया था। सुनवाई अदालत और हाई कोर्ट ने प्रतिवादी की इस दलील से सहमति जाहिर की।
वादी द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश आरके अग्रवाल और न्यायाधीश एएम सप्रे की पीठ ने पाया कि विशेष प्रदर्शन जैसे राहत का दावा रोक लगाने के आदेश के लिए दायर याचिका के साथ नहीं किया जा सकता।
पीठ ने कहा कि दोनों ही बातें अलग हैं और एक के साथ दूसरे को जोड़ा नहीं जा सकता। दूसरे शब्दों में यह नहीं हो सकता कि वादी एक प्रतिवादी के खिलाफ कार्रवाई की वजह पर एक जगह तो समझौते के विशेष प्रदर्शन की मांग का दावा करे जिस पर वह रोक लगाने के आदेश का दावा कर चुका है।
कोर्ट के समक्ष दूसरा मुद्दा यह उठाया गया था कि रोक लगाने का आदेश प्राप्त करने के लिए पूर्व याचिका को वापस लेने के समय वादी को सुनवाई अदालत द्वारा दी गई किसी अनुमति/स्वतंत्रता के अभाव में वादी समझौते के विशेष प्रदर्शन के लिए प्रतिवादी के खिलाफ संपत्ति विवाद में याचिका दायर करने का हकदार था। पीठ ने कहा, “हमारे विचार में कोर्ट को मूल वादी सुचा सिंह द्वारा दिए गए बयान पर गौर करने का अधिकार है जो कि मामले को वापस लेने और नया मामला दायर करने के बारे में था और उसके बयान को उस आदेश का हिस्सा बनाया जा सकता है जिसके तहत उसको पुराना मामला वापस लेने और नया मामला दायर करने को कहा गया।