नानक शाह फकीर फिल्म की 13 अप्रैल को रिलीज पर SC की रोक नहीं, सुनवाई 16 अप्रैल को
LiveLaw News Network
12 April 2018 4:19 PM IST
नानक शाह फकीर फिल्म की रिलीज को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ,दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई करने से इनकार कर दिया।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि इस मामले की सुनवाई 16 अप्रैल को करेंगे।
दरअसल शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने मांग की थी कि शुक्रवार को सुनवाई हो क्योंकि सोमवार को केस की सुनवाई होगी तो केस में कुछ नहीं बचेगा। फिल्म शुक्रवार को ही रिलीज होनी है।
इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा कि किसी फिल्म को लेकर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानी CBFC द्वारा सर्टिफिकेट जारी करने के बाद कोई भी व्यक्ति या संगठन इसका विरोध नहीं कर सकता और ना ही उसकी रिलीज को रोकने की कोशिश कर सकता है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने ये नानक शाह फकीर फिल्म का मामले में अंतरिम आदेश सुनाते हुए देशभर में 13 अप्रैल को फिल्म की रिलीज पर हरी झंडी दिखा दी। उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को फिल्म के लिए पर्याप्त सुरक्षा देने के निर्देश दिए हैं ताकि फिल्म के प्रदर्शन में कोई व्यवधान ना हो।
पीठ ने आदेश में कहा कि ये राज्य की जिम्मेदारी है कि वो कानून व्यवस्था बनाए रखे। पीठ ने कहा कि कोई भी निजी व्यक्ति या ग्रुप ये तय नहीं कर सकता कि फिल्म को रिलीज होना चाहिए या नहीं। कोई भी ये ना समझे वो खुद कानून है या प्राधिकार है यहां कानून का शासन है। इस तरह कोई भी लेखक की अभिव्यक्ति की आजादी का हनन नहीं कर सकता।
पीठ ने फिल्म के प्रोड्यूसर हरिंदर एस सिक्का की याचिका पर शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और 8 मई को अगली सुनवाई तय की है।
इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आर एस सूरी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पहले इस संबंध में शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी से बात की गई थी और उसकी बनाई एक स्क्रीनिंग कमेटी ने फिल्म देखने के बाद कुछ सुझाव दिए थे। इसके बाद ही फिल्म को CBFC ने फिल्म को सर्टिफिकेट जारी किया। अब देशभर में फिल्म रिलीज होने वाली है और कमेटी इसका विरोध कर रही है।
लेकिन पीठ ने कहा कि फिल्म को लेकर वैधानिक अधिकार सेंसर बोर्ड के पास है और कोई व्यक्ति या संगठन फिल्म के प्रदर्शन को लेकर फैसला नहीं दे सकता।