सुप्रीम कोर्ट ने तरूण तेजपाल के खिलाफ ट्रायल पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार किया, गोवा की अदालत को एक साल में ट्रायल पूरा करने के निर्देश

LiveLaw News Network

9 April 2018 4:22 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने तरूण तेजपाल के खिलाफ ट्रायल पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार किया, गोवा की अदालत को एक साल में ट्रायल पूरा करने के निर्देश

    सुप्रीम कोर्ट ने  सहयोगी के यौन उत्पीड़न मामले में तहलका के पूर्व संपादक तरूण तेजपाल के खिलाफ गोवा की निचली अदालत में चल रहे ट्रायल पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि कोर्ट दो हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेगा। कोर्ट ने मापसा की अदालत को और वक्त देते हुए एक साल में ट्रायल पूरा करने के निर्देश भी दिए हैं।

    सोमवार को तरूण तेजपाल की अर्जी पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ए के सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने तेजपाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल को याचिका की प्रति गोवा सरकार को देने के लिए कहा है। पीठ ने कहा कि दो हफ्ते के बाद सुनवाई होगी। वहीं इस दौरान सिब्बल ने ट्रायल पर रोक लगाने की मांग की लेकिन बेंच ने इससे इनकार कर दिया।

    दरअसल तरूण तेजपाल ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें हाईकोर्ट ने रेप के आरोपों को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी थी। याचिका में तेजपाल ने कहा है कि पीड़िता के बयानों और वीडियो रिकार्डिंग में विरोधाभास हैं। सुनवाई में कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज और अन्य दस्तावेजो को भी देखा।

    इससे पहले 6 दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने गोवा की निचली अदालत को ट्रायल जारी रखने के आदेश दिए थे। जस्टिस एस ए बोबडे और एल नागेश्वर राव की बेंच ने मापसा की कोर्ट को मामले के करीब 150  गवाहों के बयान दर्ज करने के भी आदेश दिए थे   सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट को भी निर्देश दिया था कि वो तरूण तेजपाल की उस अर्जी पर तीन महीने में सुनवाई पूरी करे जिसमें ट्रायल कोर्ट के तय आरोपों को रद्द करने की मांग की गई।

    दरअसल मापसा की कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर ट्रायल का वक्त बढाने की मांग की थी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में तरूण तेजपाल को जमानत देते हुए आठ महीने में ट्रायल पूरा करने को कहा था।

    गौरतलब है कि गोवा की अदालत ने 29 सितंबर 2017 को पूर्व महिला सहयोगी के यौन उत्पीड़न और रेप के  आरोपी तहलका के संपादक तरुण तेजपाल के खिलाफ आरोप तय किए थे। कोर्ट ने कहा था कि तेजपाल पर रेप का मामला भी चलेगा। वहीं तरूण तेजपाल ने अपना अपराध स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। इस मामले में तेजपाल के वकील ने बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा बेंच में मापसा कोर्ट की कार्रवाई को रोकने के लिए अर्जी दी थी। मगर हाईकोर्ट ने उस अर्जी को खारिज करते हुए मापसा कोर्ट को तेजपाल पर आरोप तय करने के आदेश दिए थे। हालांकि हाईकोर्ट ने मापसा अदालत को इस केस के गवाहों की जांच करने से रोक दिया था।

     इसके पहले 16 जून 2017 को हुई सुनवाई से पहले कोर्ट ने पूरे मामले की कोर्ट प्रक्रिया के मीडिया में छपने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने  327(3) के तहत मामले की मीडिया कवरेज पर रोक लगाई थी।

    मापसा की जिला व सत्र न्यायाधीश विजया पॉल तेजपाल की उनके खिलाफ लगे आरोपों को रद्द करने की मांग वाली याचिका पहले ही खारिज कर चुकी हैं। अदालत ने कहा कि तेजपाल  के खिलाफ आइपीसी की धारा 341 (दोषपूर्ण अवरोध), 342 (दोषपूर्ण परिरोध), 354 ए और बी (महिला पर यौन प्रवृत्ति की टिप्पणियां और उस पर आपराधिक बल का प्रयोग करना) तथा 376 (रेप) के  k और f सब सेक्शन के तहत आरोप तय किए हैं। गौरतलब है कि तेजपाल की एक जूनियर सहयोगी ने उन पर 2013 में एक कार्यक्रम के दौरान गोवा के एक पांच सितारा होटल की एक लिफ्ट के अंदर यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। तेजपाल  फिलहाल जमानत पर हैं।

    गौरतलब है कि निर्भया मामले के बाद महिलाओं से अपराध के नए कानून आने के बाद हाईप्रोफाइल मामले में तरूण तेजपाल की ही पहली गिरफ्तारी हुई थी।  2684 पेज की चार्जशीट में गोवा पुलिस ने दावा किया है कि तरूण तेजपाल के मामले में उसके पास पुख्ता सबूत हैं कि उन्होंने लिफ्ट में महिला सहयोगी के साथ रेप किया था।

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