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कावेरी पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, कहा तीन मई से पहले ड्राफ्ट योजना दाखिल करे केंद्र

LiveLaw News Network
9 April 2018 9:25 AM GMT
कावेरी पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, कहा तीन मई से पहले ड्राफ्ट योजना दाखिल करे केंद्र
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कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच चल रहे कावेरी जल विवाद को लेकर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के रवैए पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है।

सोमवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार 3 मई से पहले कावेरी पर ड्राफ्ट तैयार कर कोर्ट में दाखिल करे। इसके बाद कोर्ट इसे अंतिम रूप देगा।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश AG के के वेणुगोपाल से कहा कि हमारे आदेशों का सम्मान करना चाहिए था। हमें आश्चर्य है कि केंद्र को 6 हफ्ते का वक्त देने के बावजूद इस पर अमल नहीं किया गया ,CJI ने कहा कि हर वक्त कोर्ट इसे मॉनीटर नहीं कर सकता इसलिए हमने कहा था कि कानून के मुताबिक एक स्कीम बनाई जानी चाहिए।

CJI ने तमिलनाडु और कर्नाटक को राज्य में कानून व्यवस्था और शांति बनाए रखने को कहा।

CJI ने कहा केंद्र को कावेरी पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना ही होगा। कानून और कोर्ट के आदेश में साफ है कि स्कीम का मतलब क्या है।केंद्र को ये आदेश लागू करना चाहिए था। केंद्र को पता है कि स्कीम का मतलब क्या है ?  केंद्र को ये साबित करना होगा कि वो आदेश का पालन करना चाहता है।

AG ने कहा कि योजना को लागू करने में कोई परेशानी नहीं है, बोर्ड में कौन-कौन हों, ये दिक्कत है। राज्यों को इसके लिए विचार विमर्श के लिए बुलाया गया है। वहीं तमिलनाडु सरकार ने केंद्र को वक्त दिए जाने का विरोध किया।

वरिष्ठ वकील शेखर नाफड़े ने कहा कि स्कीम का मतलब कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड है।सुप्रीम कोर्ट इस मामले में  तीन मई को सुनवाई करेगा।गौरतलब है कि कावेरी जल विवाद मामले में जल्द सुनवाई की मांग को लेकर केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है जबकि तमिलनाडु ने भी केंद्र सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की है। केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी  ने भी 16 फरवरी के फैसले के अनुसार कावेरी प्रबंधन बोर्ड की स्थापना के लिए केंद्र को निर्देश देने के लिए तमिलनाडु के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

अपनी याचिका में तमिलनाडु  सरकार ने कहा है कि  केंद्र ने जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा 16 फरवरी को दिए गए फैसले को लागू नहीं किया। फैसले के तहत 6  हफ्तों के भीतर कावेरी प्रंबंधन बोर्ड एवं कावेरी बनाया जाना था।29 मार्च को समय सीमा खत्म होने के बाद भी केंद्र ने इसका गठन नहीं किया। अपनी याचिका में तमिलनाडु ने कहा है कि फैसले के तीन हफ्ते बाद नौ मार्च को केंद्र सरकार ने चारों राज्यों (तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, पुडुचेरी) के मुख्य सचिव की बैठक बुलाई। इस बैठक के बाद भी सरकार की ओर से कोई प्रगति नहीं दिखाई दी है।  केंद्र निश्चित समय में फैसले का पालन करने में विफल रहा है और इसके पीछे कोई ठोस कारण नहीं है।

दूसरी ओर  केंद्र सरकार ने भी  सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।  इसमें कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड गठित करने के लिए तीन महीने का समय मांगा है। केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में दलील दी है कि कर्नाटक में मई में विधानसभा चुनाव हैं ऐसे में अगर इस वक़्त अंतर-राज्यीय नदी विवाद कानून की धारा 6 (ए) के तहत कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड गठित किया गया तो कर्नाटक में हंगामा हो सकता है। इससे चुनाव प्रक्रिया तो प्रभावित होगी ही कानून-व्यवस्था की अन्य गंभीर समस्याएं भी खड़ी हो जाएंगी।केंद्र में अपने हलफनामे में अब तक बोर्ड गठित न किए जाने की वज़ह भी बताई।

केंद्र ने दलील दी है कि फरवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया था उस पर इसलिए अमल नहीं हो पाया क्योंकि इस पर सभी पक्षों (केंद्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल) में सहमति नहीं थी।केंद्र ने यह भी कहा है कि  इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट और स्पष्ट निर्देश जारी करे।

 केंद्र सरकार के मुताबिक केरल और कर्नाटक ख़ास तौर पर चाहते हैं कि अंतर-राज्यीय नदी विवाद कानून के तहत अगर कोई बोर्ड गठित किया जाता है तो पहले उससे संबंधित तमाम पहलुओं पर उनसे विचार-विमर्श किया जाना चाहिए। इसके बाद ही बोर्ड के गठन से संबंधित अधिसूचना जारी की जानी चाहिए। वहीं केरल सरकार ने भी इस  'में 16 फरवरी के फैसले पर पुनर्विचार  करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है और 30 TMC  पानी के अपने हिस्से  में से 5 TMC कोझीकोड निगम और 13 पंचायतों की पेयजल आवश्यकताओं के लिए भेजने की अनुमति के लिए आदेशों में संशोधन की मांग की है।

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