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नंदुरबार सेक्स तस्करी मामला : विशेष जाँच दल का गठन; आरोपी अब सिर्फ बॉम्बे हाई कोर्ट ही जा सकते हैं [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
6 April 2018 4:12 PM GMT
नंदुरबार सेक्स तस्करी मामला : विशेष जाँच दल का गठन; आरोपी अब सिर्फ बॉम्बे हाई कोर्ट ही जा सकते हैं [आर्डर पढ़े]
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महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि नंदुरबार सेक्स तस्करी मामले मेंविशेष जांच दल का गठन कर दिया गया है।

न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर और संजय किशन कौल की पीठ को डीजीपी सतीश सी माथुर ने यह जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस महानिरीक्षक (महिला और बच्चों के खिलाफ अत्याचार निरोध) इस एसआईटी का नेतृत्व करेंगे।

कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपी जमानत के लिए सिर्फ बॉम्बे हाई कोर्ट ही जा सकते हैं।

कोर्ट ने कहा, “...अग्रिम जमानत या नियमित जमानत के लिए कोई आवेदन सिर्फ बॉम्बे हाई कोर्ट में ही दाखिल किए जा सकते हैं और किसी अन्य अदालत को इस अपराध से संबंधित किसी भी तरह की कार्यवाही की इजाजत नहीं होगी”।

पीठ ने बॉम्बे हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया कि वह इस तरह के आवेदनों पर विचार करने के लिए एक विशेष पीठ का गठन कर दें।

महाराष्ट्र सरकार के एएसजी तुषार मेहता ने पीठ को आश्वासन दिया कि राज्य सरकार एक ऐसे अधिकारी की नियुक्ति करेगा जो घटना से जुड़े सभी मामले को देखेगा। याचिकाकर्ता एनजीओ रेस्क्यू फाउंडेशन को इस मामले में राज्य की मदद करने को कहा गया।

अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 मई को होगी।

क्या है मामला

गत वर्ष जनवरी में यह मामला सामने आया था। मुंबई के शाहदा, नंदुरबार के वेश्यावृत्ति वाले इलाके से पुलिस ने छापे मारकर पहले सात और बाद में 61  महिलाओं को बचाया था। इनमें से कुल 18 नाबालिग लड़कियां भी थीं। नाबालिगों को प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश पर चाइल्ड वेलफेयर कमिटी को सुपुर्द कर दिया गया।

बाद में मजिस्ट्रेट ने सीडब्ल्यूसी से कहा कि इन महिलाओं को उन लोगों को सौंप दिया जाए जो उनके रिश्तेदार होने का दावा करते हैं। हालांकि बॉम्बे हाई कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के आदेश को निरस्त कर दिया और कहा कि उसका आदेश अनैतिक तस्करी (निवारण) अधिनियम 1956 और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के खिलाफ है।

हाई कोर्ट ने कहा कि सीडब्ल्यूसी ही नाबालिग लड़कियों के बार में कोई निर्णय ले सकता है। उसने इन लड़कियों को सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश करने को कहा और उसको कोर्ट ने उसको इन लडकियों को अपने संरक्षण में लेने और उन्हें उनके माँ-बाप को सुपुर्द करने का निर्देश दिया।

बाद में सुप्रीम कोर्ट को गत सितम्बर में पता चला कि इन लड़कियों को उन्हीं लोगों को सुपुर्द कर दिया गया था जो उनकी तस्करी के लिए जिम्मेदार थे।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2017 में निर्देश दिया कि नाबालिग लड़कियों को याचिकाकर्ता एनजीओ के संरक्षण में दे दिया जाए जो उनको इनके बारे में अंतिम जांच होने तक अपने पास रखेंगे।


 
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