“ हमारे फेफड़े खराब हो चुके, अब बच्चों के फेफड़े भी खराब होंगे, “ सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण पर केंद्र, दिल्ली सरकार और सिविक एजेंसियों को जमकर सुनाई खरी खोटी
LiveLaw News Network
5 April 2018 10:51 AM IST
- “ आप जो चाहते हैं वह कर सकते हैं लेकिन हम कुछ नहीं करेंगे “
- " "जिस दिन तक अधिकारियों को एहसास नहीं हो जाएगा कि दिल्ली के लोग महत्वपूर्ण हैं, कुछ भी नहीं बदलेगा। दिल्ली के लोग पशु नहीं हैं ... हर किसी का समाज में कुछ सम्मान है, “ ---
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा।
सीलिंग मामले में केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और राजधानी की सिविक एजेंसियों को एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट की फटकार का सामना करना पड़ा।
"देखो ... दिल्ली के लोग पीड़ित हैं। आप कहते हैं कि उन्हें पीड़ित रहने दीजिए।
यह आपका रवैया है.. बच्चे पीड़ित हैं .. हमारे फेफड़े पहले ही क्षतिग्रस्त हैं। क्या बच्चों के फेफड़ों को भी क्षतिग्रस्त किया जाएगा? क्यों ? क्योंकि भारत की सरकार, दिल्ली सरकार, डीडीए, एमसीडी का कहना है कि आप जो चाहते हैं वह कर सकते हैं लेकिन हम कुछ नहीं करेंगे, “ न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने केंद्र और सिविल एजेंसियों का प्रतिनिधित्व वाले वकीलों से कहा। बेंच ने केंद्र पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि वह अनधिकृत निर्माण करने वालों को बचाने के लिए दिल्ली मास्टर प्लान- 2021 को बदल रहा है, बेंच ने यह स्पष्ट किया कि आवासीय क्षेत्रों में रेस्तरां और बड़े शोरूम जैसे वाणिज्यिक प्रतिष्ठान कानून के उल्लंघन में जारी नहीं रह सकते क्योंकि अधिकारी ने दिल्ली के नागरिकों को खतरे में नहीं डाल सकते।“ अनधिकृत निर्माणों का बढ़ते प्रदूषण के साथ एक सीधा संबंध है।गैरकानूनी निर्माण से उत्पन्न होने वाले मुद्दों के कारण दिल्लीवासी
प्रदूषण, पार्किंग और हरित क्षेत्रों की कमी जैसी समस्याओं से पीड़ित हैं। "
"जिस दिन तक अधिकारियों को एहसास नहीं हो जाएगा कि दिल्ली के लोग महत्वपूर्ण हैं, कुछ भी नहीं बदलेगा। दिल्ली के लोग पशु नहीं हैं ... हर किसी का समाज में कुछ सम्मान है, “ बेंच ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ए एन एस नाडकर्णी से कहा जो केंद्र के लिए उपस्थित थे।
केंद्र के सुझाव
जब नाडकर्णी ने सुझाव दिया कि सुप्रीम कोर्ट स्थिति की निगरानी करे और अधिकारियों को समयबद्ध तरीके से अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए कहा जाए तो बेंच ने जवाब दिया: "हम पुलिस नहीं हैं, हमें ऐसा क्यों करना चाहिए? "
जब नाडकर्णी ने उत्तर दिया कि कोर्ट ने अतीत में कई मुद्दों पर नजर रखी है, तो पीठ ने वापस जवाब दिया, “ आप कुछ नहीं कर रहे हैं इसलिए हमें कई चीजों की निगरानी करनी पड़ती है।”
2 अप्रैल को बेंच ने केंद्र और अन्य अधिकारियों को दिल्ली में अतिक्रमण रोकने में विफलता पर फटकार लगाई थी।
पीठ ने सरकार को यह सुनिश्चित करने का सुझाव दिया कि सीलिंग के खिलाफ विरोध को रोकना चाहिए। उसने आगे कहा कि वह दिल्ली में लोगों के जीवन के साथ खेल रही है। अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी में चल रहे सीलिंग ड्राइव के खिलाफ विरोध के बारे में चिंता व्यक्त की और कहा कि शहर में कानून और व्यवस्था पूरी तरह भंग हो चुकी है। "आप दिल्ली को नष्ट नहीं कर सकते, कोई ना कोई कारण होना चाहिए। "बेंच ने नाडकर्णी से कहा।
बेंच अगली सुनवाई 9 अप्रैल को करेगी। पीठ ने सभी को बैठक कर कारगर सुझाव देने के निर्देश दिए हैं।
6 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक बडा कदम उठाते हुए दिल्ली मास्टर प्लान 2021 में संशोधन करने पर रोक लगा दी थी।
इस संबंध में डीडीए द्वारा हलफनामा दाखिल ना करने पर नाराज कोर्ट ने कहा कि आदेश के बावजूद डीडीए ने कोई हलफनामा नहीं किया इसका मतलब ये है कि उसके पास कहने को कुछ नहीं है।
जस्टिस लोकुर ने कहा कि ये दादागिरी नहीं चलेगी। डीडीए कोर्ट को ये नहीं कह सकता कि कोर्ट चाहे कुछ भी कहे वो अपनी मर्जी से काम करेगा।
इसके बाद पीठ ने मास्टर प्लान के संशोधन पर रोक लगा दी। हालांकि डीडीए की ओर से कहा गया कि वो दो हफ्ते में हलफनामा दाखिल कर देंगे। कोर्ट ने कहा कि ये डीडीए की मर्जी है।
गौरतलब है कि 9 फरवरी को निर्माण और अन्य नागरिक समस्याओं जैसे कमजोर अपशिष्ट प्रबंधन, बढ़ते प्रदूषण और पार्किंग की जगह की कमी का जिक्र करते हुए जस्टिस लोकुर ने कहा था, "देश में प्रदूषण का स्तर इतना खराब है कि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 शहर भारत में हैं और भारत के इन 13 शहरों में दिल्ली शीर्ष पर है। मुझे नहीं पता कि दिल्ली में नागरिक प्रशासन क्या कर रहा है।"
अदालत ने डीडीए को एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा था जिसमें ये बताना है कि मास्टर प्लान 2021 में परिवर्तन की आवश्यकता क्यों है और क्या संशोंधन करने से पहले पर्यावरण पर पडने वाले प्रभाव को लेकर कोई स्टडी की गई है ?
गौरतलब है डीडीए के मास्टर प्लान में संशोधन कर FAR बढाने के प्रस्ताव से व्यापारियों को बड़ी राहत की उम्मीद थी, जो समान एफएआर की मांग कर रहे थे, क्योंकि हाल ही में नागरिक निकायों द्वारा कई संपत्तियों को सील कर दिया गया है। उत्तर, दक्षिण और मध्य दिल्ली में स्थानीय निकाय सीलिंग अभियान चला रहे हैं।
यह पिछले साल दिसम्बर में शुरू हुआ जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त निगरानी समिति के निर्देश पर डिफेंस कॉलोनी मार्केट में 50 से अधिक दुकानों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी।