संक्रमणकालीन ऋण नहीं देने पर गुजरात की कंपनी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया; केंद्र और जीएसटी परिषद को नोटिस [याचिका पढ़े]
LiveLaw News Network
27 March 2018 8:30 PM IST
वडोदरा की एक कंपनी और उसके साझीदार ने एक याचिका दायर कर कहा है कि गुजरात जीएसटी अधिनियम और केंद्रीय जीएसटी आधिनियम को असंवैधानिक करार दिया जाए क्योंकि इनके अधीन संक्रमणकालीन उधारी देने की मनाही है। गुजरात हाई कोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र, जीएसटी परिषद्, जीएसटी नेटवर्क और गुजरात राज्य को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति अकिल कुरैशी और बीएन करिया की पीठ ने विलोवुड केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड और उसके साझीदार परीक्षित मुंधरा की याचिका पर ये नोटिस जारी किए हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि गुजरात वस्तु एवं सेवा कर नियम, 2017 के नियम 117 और इसके तहत जारी जीएसटी ट्रान-1 और केंद्रीय वस्तु और सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 140(3) और 164 को असंवैधानिक करार दिया जाए।
याचिकाकर्ताओं के वकील निपुण सिंघवी और विशाल दवे ने वैट अधिनियम के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट के अर्जित लाभ को केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम, 1956 के तहत आकलन तक नहीं ले जाने देने को मनमाना करार दिया।
याचिका में कहा गया कि केंद्रीय जीएसटी अधिनियम की धारा 140(3) के तहत वे 67,31,259 रुपए के सेनवैट ऋण के अधिकारी हैं।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि गुजरात वैल्यू एडेड टैक्स एक्ट, 2003 और गुजरात जीएसटी एक्ट के तहत वे पंजीकृत हैं और वे वैट के मूल्य के बराबर ऋण पाने के हकदार हैं। उन्होंने कहा कि यह राशि जीएसटीएन पोर्टल पर उनके खाते में खुद ही आ जाना चाहिए था।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि जीएसटी ट्रान 1 फॉर्म अपलोड करने के समय सिस्टम में एरर आता है और ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिसके तहत वे अपने इनपुट ऋण का दावा कर सकें। उन्होंने कहा कि अथॉरिटीज ने जीएसटी ट्रान 1 की कॉपी लेने से यह कहते हुए मना कर दिया कि जीएसटी क़ानून के तहत वे किसी भी फॉर्म की हार्ड कॉपी स्वीकार नहीं कर सकते।
दवे और सिंघवी ने कहा कि केंद्रीय बिक्री कर अधिनियम 1956 के तहत फॉर्म सी, एफ, एच, आई आदि के तहत वैधानिक घोषणा नहीं करने पर डिफरेंशियल टैक्स की मांग की जाती है जोकि आगे फिर अपील और संशोधन पर निर्भर करता है। गुजरात वैल्यू एडेड टैक्स एक्ट, 2003 के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट को अपने पास रखने की इजाजत है और वैट/सीएसटी के भुगतान के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है पर न तो गुजरात वैल्यू एडेड टैक्स एक्ट, 2003 और न ही सेंट्रल सेल्स टैक्स एक्ट, 1956 के अधीन ही यह प्रावधान है कि अगर कोई वैधानिक घोषणा करने में विफल रहा है तो उसको इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं दिया जाए।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि एक ही परिसंपत्ति पर उसी अवधि के दौरान कर लगाना दो बार कर लगाने जैसा होगा और यह गैर कानूनी तरीके से सरकारी खजाने को भरने जैसा है।