अभियोजन को सामूहिक बलात्कार के मामले में हर आरोपी के खिलाफ साक्ष्य पेश करने की जरूरत नहीं, आम इरादा पर्याप्त है : बॉम्बे हाई कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
21 March 2018 8:15 PM IST
बॉम्बे हाई कोर्ट ने 17 साल की एक लड़की के साथ हुए सामूहिक बलात्कार मामले में एक आरोपी द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 376(2)(g) के तहत अगर यह साबित हो जाता है कि एक से ज्यादा आरोपी एक ही मंशा से एक साथ किसी अपराध को अंजाम दिया है तो उस स्थिति में अगर एक भी व्यक्ति ने बलात्कार किया है, तो सभी आरोपियों को दोषी माना जाएगा।
न्यायमूर्ति एएस गडकरी ने इस मामले में एक आरोपी अश्पाक लालमोहम्मद की अपील पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। उसे कल्याण के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने इस मामले में 6 जनवरी 2014 को 10 साल की सजा सुनाई थी।
बलात्कार की शिकार लड़की ने बताया कि वह अपने बॉयफ्रेंड के साथ कल्याण स्टेशन पर रात के ढाई बजे थी जब आरोपी ने उससे पूछा कि वह इतनी रात को वहाँ क्या कर रही है। उसके बॉयफ्रेंड को एक अभियुक्त ने तमाचा मारा और उसको ब्लेड दिखाकर धमकाया। उसने बॉयफ्रेंड के साथ वहाँ से भागने की कोशिश की पर उन्होंने उसके बॉयफ्रेंड देवेन्द्र को वहाँ से खदेड़ दिया और आरोपी नंबर एक ने पीड़िता को पकड़ लिया। इसके बाद अनिलकुमार पाठक ने उसके साथ बलात्कार किया। दूसरे आरोपी जाकिर खान ने भी उसके साथ बलात्कार की मंशा जताई पर पीड़िता ने उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत करने की धमकी दी जिसके बाद वह वहाँ से चला गया।
पीड़िता की मदद के लिए नियुक्त वकील राजेश धाराप ने कहा कि इसके बावजूद कि पीड़िता ने आरोपियों की पहचान की है, आईपीसी की धारा 376(2)(g) के तहत इस अपराध में आम मंशा का निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता।
अतिरिक्त आम अभियोजक ने इसका विरोध किया और यह अपील ठुकरा दी।
इस तरह, पेश किए गए साक्ष्य और पीड़िता के बयान पर भरोसा करते हुए कोर्ट ने कहा कि आवेदनकर्ता के खिलाफ आईपीसी की धारा 376(2)(g) के तहत अपराध असंदिग्ध रूप से अभियोजन पक्ष ने साबित कर दिया है और इसलिए अपील ख़ारिज की जाती है।