नीतीश कुमार को अयोग्य घोषित करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की, कहा कोई मेरिट नहीं

LiveLaw News Network

19 March 2018 8:46 AM GMT

  • नीतीश कुमार को अयोग्य घोषित करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की, कहा कोई मेरिट नहीं

    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पद से अयोग्य घोषित करने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

    सोमवार को सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने वकील मनोहर लाल शर्मा की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कोर्ट को इसमें कोई मेरिट नहीं पाई गई  है।

    वहीं सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से पेश वकील अमित शर्मा ने कोर्ट को बताया कि याचिका में कई तथ्य गलत हैं। 2012 में नीतीश कुमार ने हलफनामे में उनके खिलाफ हत्या के लंबित मामले का खुलासा किया था।

    गौरतलब है कि नीतीश कुमार को बिहार सीएम के पद से अयोग्य घोषित करने की मांग वाली याचिका पर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं है और भारी जुर्माना लगाकर इसे खारिज किया जाना चाहिए।

    वकील मनोहर लाल शर्मा की याचिका पर जवाब दाखिल करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि याचिका में दी गई जानकारी गुमराह करने वाली है और ये अदालती प्रक्रिया का दुरुपयोग है।ये तुच्छ अर्जी है और गलत तथ्यों पर आधारित है।

    हलफनामे मे कहा गया कि नीतीश कुमार ने 2015 में बिहार विधानसभा का चुनाव नहीं लडा था तो चुनावी हलफनामा दाखिल करने का सवाल ही नहीं है। इसी तरह उन्होंने 2013 में भी बिहार विधान परिषद MLC का चुनाव नहीं लडा फिर याचिकाकर्ता एम एल शर्मा ने कहां से नीतीश कुमार के चुनावी हलफनामे हासिल किए? ये भी कहा गया कि याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग को ईमेल के जरिए ज्ञापन भेजा था लेकिन तकनीकी कारणों से ये ईमेल खुल नहीं रही है।

    चुनाव आयोग के मुताबिक इस मामले से याचिकाकर्ता के कोई मौलिक अधिकारों का हनन नहीं हुआ है और जनहित याचिका दाखिल नहीं की जा सकती। याचिकाकर्ता को जनप्रतिनिधि अधिनियम के प्रावधान 125 के तहत ये याचिका चुनाव आयोग को या इसकी शिकायत पुलिस को देनी चाहिए थी।

    दरअसल 23 अक्तूबर 2017 को नीतीश कुमार को बिहार सीएम के पद से अयोग्य घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हो गया था। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने इस बाबत चुनाव आयोग से 4 हफ्ते में जवाब देने को कहा था।

    गौरतलब है कि वकील एमएल शर्मा ने याचिका दाखिल कर कहा था कि 2004 से 2015 के दौरान नीतीश कुमार ने हलफ़नामे में ये खुलासा नहीं किया कि 1991 में उन पर हत्या के मामले में एफआईआर दर्ज हुई थी इसलिए नीतीश कुमार को सीएम पद के लिए अयोग्य घोषित किया जाए। याचिका में नीतीश कुमार के खिलाफ हत्या के मामले में उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग भी की गई।याचिका के अनुसार नीतीश कुमार अपने आपराधिक रिकॉर्ड को छुपाने के बाद संवैधानिक पद पर नहीं रह सकते और उन्हें अयोग्य करार दिया जाए।

    Next Story