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ऐसे प्रदर्शन जिनसे आम लोगों के लिए गड़बड़ी पैदा होता है, अनुच्छेद 19(1) के तहत सुरक्षित नहीं : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network
17 March 2018 2:44 PM GMT
ऐसे प्रदर्शन जिनसे आम लोगों के लिए गड़बड़ी पैदा होता है, अनुच्छेद 19(1) के तहत सुरक्षित नहीं : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि प्रदर्शन करना अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत एक अधिकार है और कोई भी प्रदर्शन चाहे वह राजनीतिक, धार्मिक या सामाजिक है या किसी अन्य तरह का है और जिससे आम लोगों को मुश्किल होती है या उनके लिए गड़बड़ी पैदा करता है, वह अनुच्छेद 19(1) के तहत नहीं आता।

पीठ ने कहा, “कोई प्रदर्शन सभा का रूप ले सकता है और इसके बाद इसका उद्देश्य वहाँ प्रदर्शन कर रहे समूह द्वारा अथॉरिटी को अपना संदेश पहुंचाना होता है। एक प्रदर्शन कई रूप ले सकता हैयह शोरगुल भरा और बेतरतीब हो सकता है; उदाहरण के लिए भीड़ द्वारा पत्थर फेंकने को हिंसक और अव्यवस्थित प्रदर्शन माना जा सकता है और जैसा कि स्वाभाविक है, यह अनुच्छेद 19(1)(a) या (b) के तहत नहीं आएगा

न्यायमूर्ति एके सिकरी और अशोक भूषण की पीठ गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए यह बात कही। याचिका में जीजेएम ने अपने खिलाफ दायर सभी एफआईआर को किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी को सौंपने की मांग की थी। पीठ ने उसकी याचिका ख़ारिज कर दी।

पीठ ने कहा, “यह स्पष्ट है कि अनुच्छेद 19(1)(a) या (b) हर नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है और वे सार्वजनिक प्रदर्शन कर सकते हैं पर जब आम प्रदर्शन हिंसक हो जाता है या सार्वजनिक या निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाता है या जान-माल को क्षति पहुंचाता है तो यह मौलिक अधिकार नहीं रहकर क़ानून के तहत दंडनीय अपराध हो जाता है”।


 
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