मंत्रिमंडल ने मध्‍यस्‍थता और सुलह (संशोधन) विधयेक, 2018 को स्‍वीकृति दी

LiveLaw News Network

8 March 2018 8:32 AM GMT

  • मंत्रिमंडल ने मध्‍यस्‍थता और सुलह (संशोधन) विधयेक, 2018 को स्‍वीकृति दी

    प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मध्‍यस्‍थता और सुलह (संशोधन) विधयेक, 2018 को लोकसभा में पेश करने की स्‍वीकृति दे दी है। यह विवादों के समाधान के लिए संस्‍थागत मध्‍यस्‍थता को प्रोत्‍साहित करने के सरकार के प्रयास का हिस्‍सा है और यह भारत को मजबूत वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) व्‍यवस्‍था का केंद्र बनाता है।

    इस क़ानून के लाभ :

    1996 के अधिनियम में संशोधन से मानक तय करने, मध्‍यस्‍थता प्रक्रिया को पक्षकार-सहज बनाने और मामले को समय से निष्‍पादित करने के लिए एक स्‍वतंत्र संस्‍था स्‍थापित करके संस्‍थागत मध्‍यस्‍थता में सुधार का लक्ष्‍य प्राप्‍त करने में सहायता मिलेगी।

    विशेषताएं :




    1. यह सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्वारा निर्दिष्‍ट मध्‍यस्‍थता संस्‍थानों के माध्‍यम से मध्‍यस्‍थों की तेजी से नियुक्ति में सहायक है, इस संबंध में न्‍यायालय से संपर्क की आवश्‍यकता के बिना। विधेयक में यह व्‍यवस्‍था है कि संबंधित पक्ष अंतरराष्‍ट्रीय वाणिज्यिक मध्‍यस्‍थता के लिए और संबंधित उच्‍च न्‍यायालयों के अन्‍य मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्दिष्‍ट मध्‍यस्‍थता संस्‍थानों से सीधा संपर्क कर सकते हैं।

    2. इस संशोधन में एक स्‍वतंत्र संस्‍था भारत की मध्‍यस्‍थता परिषद (एसीआई) बनाने का प्रावधान है। यह संस्‍था मध्‍यस्‍थता करने वालों संस्‍थानों को ग्रेड देगी और नियम तय करके मध्‍यस्‍थता करने वालों को मान्‍यता प्रदान करेगी और वैसे सभी कदम उठाएगी जो मध्‍यस्‍थता, सुलह तथा अन्‍य वैकिल्‍पक समाधान व्‍यवस्‍था को बढ़ावा देंगे और संस्‍था इस उद्देश्‍य के लिए मध्‍यस्‍थता तथा वैकल्पिक विवाद समाधान व्‍यवस्‍था से जुड़े सभी मामलों में पेशेवर मानकों को बनाने के लिए नीति और दिशा निर्देश तय करेगी। यह परिषद सभी मध्‍यस्‍थता वाले निर्णयों का इलेक्‍ट्रोनिक डिपोजिटरी रखेगी।

    3. एसीआई निकाय निगम होगी। एसीआई के अध्‍यक्ष वह व्‍यक्ति होगा जो सुप्रीम कोर्ट का न्‍यायाधीश रहा हो या किसी हाई कोर्ट का मुख्‍य न्‍यायाधीश और न्‍यायाधीश रहा हो। अन्‍य सदस्‍यों में सरकारी नामित लोगों के अतिरिक्‍त जाने-माने शिक्षाविद आदि शामिल किए जाएंगे।

    4. विधेयक समय-सीमा से अंतरराष्‍ट्रीय मध्‍यस्‍थता को अलग करके तथा अन्‍य मध्‍यस्‍थताओं में निर्णय के लिए समय-सीमा विभिन्‍न पक्षों की दलीलें पूरी होने के 12 महीनों के अंदर करके धारा 29ए के उप-धारा (1) में संशोधन का प्रस्‍ताव है।

    5. इसमें नई धारा 42ए जोड़ने का प्रस्‍ताव है ताकि मध्‍यस्‍थता करने वाला व्‍यक्ति या मध्‍यस्‍थता संस्‍थान निर्णय के सिवाय मध्‍यस्‍थतासे जुड़ी कार्यवाहियों की गोपनीयता बनाए रखेंगी। नई धारा 42बी मध्‍यस्‍थता करने वाले को मध्‍यस्‍थता सुनवाई के दौरान उसके किसी कदम या भूल को लेकर मुकदमा या कानूनी कार्यवाही से सुरक्षा प्रदान करती है।

    6. एक नया सेक्‍शन 87 जोड़ने का प्रस्‍ताव है जो स्‍पष्‍ट करेगा कि जब तक विभिन्‍न पक्ष सहमत नहीं होते संशोधन अधिनियम 2015 में - (ए) 2015 के संशोधन अधिनियम प्रारंभ होने से पहले शुरू हुई मध्‍यस्‍थता की कार्यवाही के मामले में (बी) संशोधन अधिनियम 2015 के प्रारंभ होने के पहले या ऐसी अदालती कार्यवाही शुरू होने के बावजूद मध्‍यस्‍थता प्रक्रिया के संबंध में चालू होने वाली अदालती कार्यवाहियों में लागू नहीं होगा तथा यह सेक्‍शन संशोधन अधिनियम 2015के प्रारंभ होने या बाद की मध्‍यस्‍थता कार्यवाहियों में लागू होगा और ऐसी मध्‍यस्‍थता कार्यवाहियों से उपजी अदालती कार्यवाहियों के मामले में लागू होगा।


     पृष्ठभूमि:

    मध्‍यस्‍थता प्रक्रिया को सहज बनाने, लागत-सक्षम बनाने और मामले के शीघ्र निष्‍पादन और मध्‍यस्‍थता करने वाले की तटस्‍थता सुनिश्चित करने के लिए मध्‍यस्‍थता और सुलह अधिनियम, 1996 में मध्‍यस्‍थता और सुलह (संशोधन) अधिनियम, 2015 द्वारा संशोधन किया गया। लेकिन तदर्थ मध्‍यस्‍थता के स्‍थान पर संस्‍थागत मध्‍यस्‍थता को प्रोत्‍साहित करने और मध्‍यस्‍थता तथा सुलह (संशोधन) अधिनियम, 2015 को लागू करने में आ रही कुछ व्‍यावहारिक कठिनाईयों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा भारत के सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्‍त न्‍यायाधीश, न्‍यायमूर्ति बीएच श्रीकृष्‍ण की अध्‍यक्षता में एक उच्‍चस्‍तरीय समिति (एचएलसी) बनाई गई। एचएलसी को निम्‍नलिखित कार्य दिए गए हैं -




    • भारत में मध्‍यस्‍थ संस्‍थानों के कामकाज और उनके कार्य प्रदर्शन का अध्‍ययन करके वर्तमान मध्‍यस्‍थता व्‍यवस्‍था के प्रभाव की जांच करना।

    • भारत में संस्‍थागत मध्‍यस्‍थताव्‍यवस्‍था को प्रोत्‍साहित करने के लिए रौडमैप तैयार करना।

    • वाणिज्यिक विवाद समाधान के लिए कारगर और सक्षम मध्‍यस्‍थता प्रणाली विकसित करना और कानून में सुझाए गए सुधारों पर रिपोर्ट प्रस्‍तुत करना।


     उच्‍चस्‍तरीय समिति ने 30 जुलाई, 2017 को अपनी रिपोर्ट पेश की। समिति ने मध्‍यस्‍थता और सुलह अधिनियम, 1996 में संशोधन की सिफारिश की है। प्रस्‍तावित संशोधन उच्‍चस्‍तरीय समिति की सिफारिशों के अनुसार है।

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