सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा, दिल्ली कूड़े के ‘टाइम बम’ पर बैठी है
LiveLaw News Network
8 March 2018 11:45 AM IST
ठोस कूड़ा प्रबंधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने दिल्ली सरकार को कडी फटकार लगाते हुए कहा कि पूरी दिल्ली कूडे के ‘ टाइम बम’ पर बैठी है और दिल्ली सरकार इसे लेकर प्रभावी कदम नहीं उठा रही है। पीठ ने कहा कि ये दिल्ली के लोगों के साथ गंभीर अन्याय है। दिल्ली सरकार ने अपनी रिपोर्ट में ये नहीं बताया कि इससे निपटने के लिए क्या प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं ? इस संबंध में जनवरी में ही अफसरों की बैठक हुई और अब सरकार वही बता रही है जो 2016 में हुआ था।
वहीं दिल्ली सरकार की ओर से पेश ASG पिंकी आनंद ने कहा कि इस विषय में नगर निगम समेत कई हितधारकों से रिपोर्ट प्राप्त करनी है। इसके लिए चार हफ्ते का वक्त लगेगा लेकिन कोर्ट ने कहा कि 19 मार्च को सुनवाई तय है, तब तक सरकार रिपोर्ट दाखिल करें।
वहीं पीठ ने केंद्र से भी नाराजगी व्यक्त की कि उसके निर्देशों पर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश कोई कदम नहीं उठा रहे हैं।
फरवरी में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार द्वारादेश भर में ठोस कचरा प्रबंधन यानी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंटसंबंधित एक जनहित याचिका में 845 पेज के हलफनामे को दाखिल करने की कोशिश सुप्रीम कोर्ट में मजाक बन गई थी जब जस्टिस मदन बी लोकुर ने इसे “ सॉलिड वेस्ट” बताया और और गुस्से में याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट "कचरा जमा करने वाला " नहीं है।
दरअसल हलफनामा पूरा ना होने की वजह से बेंच गुस्सा हुई और केंद्र के वकील से कहा कि उनके सामने ‘ इस कचरे को फेंकने’ की कोशिश ना करे।
उन्होंने शपथ पत्र स्वीकार करने से इनकार कर दिया और केंद्र से कहा था कि इस तरह की भारी पाठ्य पुस्तक शैली में हलफनामे दाखिल ना करें बल्कि उपयोगी जानकारी को एक चार्ट के रूप में दें जिसे आसानी से समझा जा सके।
"तो ये वही है जो आप लाए हैं। आप क्या करने की कोशिश कर रहे हैं? आप हमें प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं? नहीं, सॉरी, हम प्रभावित नहीं हुए।
आपको लगता है कि आप हमारे सामने कुछ भी डंप कर सकते हैं।कूडे पर कूडा फेंके जा रहे हैं। यह नहीं होगा। हम इसे लेने नहीं जा रहे हैं। चीजें इस तरह से नहीं हो सकती। आप बेहतर समझते हैं ..आप देख रहे हैं कि हम कचरा लेने वाले नहीं हैं ", नाराज जस्टिस लोकुर ने कहा था।
जब वकील ने बेंच के कई सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं दिए जस्टिस लोकुर ने पूछा, "हमें ऐसे दस्तावेज देने का क्या मतलब है जिसमें कुछ नहीं है। ये किस तरह का हलफनामा है। हमें उन्हें रिकॉर्ड पर क्यों लेना चाहिए? हम प्रासंगिक सवाल पूछ रहे हैं कि आपने खुद इसे नहीं देखा और फिर भी आप चाहते हैं कि हम इसे देखें, “ बेंच ने कहा।
तीन हफ्तों के भीतर केन्द्र को चार्ट के रूप में एक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा गया है कि अगर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के प्रावधान के अनुसार राज्य स्तर पर सलाहकार बोर्ड का गठन किया है।
बेंच ने ये भी निर्देश दिया है कि सरकार अपने चार्ट में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सलाहकार बोर्ड का गठन करने की तारीख, बोर्ड के सदस्यों के नाम और उनके द्वारा की गई किसी भी बैठक का विवरण देने को कहा है।
केंद्र ने अदालत को बताया कि राज्य स्तर के सलाहकार बोर्ड के गठन के संबंध में 22 राज्यों से सूचना मिली है और संबंधित राज्यों से प्राप्त आंकड़ों को संकलित किया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं था।
पिछले साल 21 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कचरे की भारी मात्रा के निपटान के लिए पर्याप्त उपाय करने के बजाय जमीन पर लैंडफिल साइटों पर डंपिंग करने पर फटकार लगाई थी।
"लैंडफिल साइट्स के पास कूड़े के ढेर 45 मीटर से ऊपर हैं।ये लगभग कुतुब मीनार जैसे टॉवर हैं। कुतुब मीनार की ऊंचाई 73 मीटर है और इनमें से ये ढेर आधे से ज्यादा ऊंचाई के हैं। यह एक खतरनाक स्थिति है इसके साथ कौन निपटने वाला है? आप (सरकार) को इस समस्या से निपटना होगा ", बेंच ने कहा था।