NRC का काम वक्त पर पूरा हो, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कोर्ट का काम असंभव को संभव बनाना

LiveLaw News Network

20 Feb 2018 10:31 AM GMT

  • NRC का काम वक्त पर पूरा हो, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कोर्ट का काम असंभव को संभव बनाना

    सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन की बेंच ने मंगलवार को साफ कहा कि असम में विदेशियों की पहचान कर वापस भेजने के लिए नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन्स NRC का काम ना तो रोका जाएगा और ना ही इसके लिए वक्त बढाया जाएगा।

    बेंच ने कडे शब्दों में  केंद्र सरकार और असम सरकार को इसके लिए और वक्त देने से इंकार कर दिया।

    जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, “ हमारा  काम ही असंभव को संभव बनाना है। NRC बनाने को  एक बडा मजाक कहा जा रहा था, वो अब  हकीकत में बदलने जा रहा है।”

    बेंच ने कहा कि किसी भी सूरत में NRC का काम नहीं रुकेगा और ना ही इसमें दखल दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि स्थानीय निकाय के चुनाव के लिए NRC के कार्डिनेटर और उनकी टीम का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। ना ही इसके लिए किसी अन्य कार्डिनेटर की नियुक्ति  होगी। कोई भी स्थिति हो NRC का काम जारी रहेगा।

    असम की ओर से ASG तुषार मेहता ने कहा कि एक दिक्कत है क्योंकि मार्च या अप्रैल में राज्य में स्थानीय निकाय के चुनाव होने हैं। ऐसे में अफसरों की जरूरत पडेगी।

    लेकिन बेंच ने कहा, “ स्थानीय निकाय के चुनाव के लिए आप बाहर से लोग आइए, बल लाइए, लेकिन NRC का का काम नहीं रुकेगा। अगर इन अफसरों को शामिल किया गया तो राज्य को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।”

    कोर्ट ने कार्डिनेटर प्रतीक हजेला की रिपोर्ट पर अपनी मुहर लगाई जिसमें कहा गया कि  दिसंबर जनवरी में 38 लाख आवेदनों का सत्यापन  हुआ है और मई 31 तक अगले एक करोड आवेदनों का सत्यापन हो जाएगा। इस तरह कुल 2.29 करोड लोगों का सत्यापन हो जाएगा। इसके बाद जून 30 तक NRC का फाइनल ड्राफ्ट तैयार होगा।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो इस पर निगरानी रखेगा और और 27 मार्च को अगली सुनवाई करेगा।

     कोर्ट ने केंद्र की ओर से AG के के वेणुगोपाल और असम की ओर से ASG तुषार मेहता की दलीलों को ठुकरा दिया कि कई कारण हैं कि राज्य में NRC के काम में देरी हो सकती है। इसमें स्थानीय निकाय के संभावित चुनाव भी एक वजह है। इसलिए NRC के लिए और 31 जुलाई तक वक्त दिया जाए।

    AG ने कहा कि असम में अच्छा काम हो रहा है।

    लेकिन जस्टिक रंजन गोगोई और जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन की बेंच ने कहा, “ हमें कई बार सब पता होता है, लेकिन हम कहते हैं कि हमें नहीं पता। ये सिर्फ कोर्ट है तो अपना बेस्ट दे रहा है। “

    इस पर AG ने कहा, “ मुझे नहीं पता।”

    गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को विदेशियों की पहचान कर वापस भेजने के लिए नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन्स NRC बनाने के निर्देश दिए थे। 25 मार्च 1971 के बाद आए विदेशियों की पहचान कर उन्हें निर्वासित करना था। इनमें बंगलादेशी शामिल हैं। ये काम असम में चल रहा है।

    सुप्रीम कोर्ट  ने पाया था कि अवैध रूप से देश में घुस आने वाले लोगों के मामलों का निपटारा करने के लिए बनाए गए पंचाट की संख्या कम है। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि यह गौर करने वाली बात है कि 1961 से 1965 के बीच करीब डेढ़ लाख लोगों को निर्वासित किया गया, लेकिन 1985 से लेकर अब तक सिर्फ 2000 लोगों का ही निर्वासन संभव हो सका है।बांग्लादेशियों के अवैध रूप से भारत में घुस आने से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि वह आज से हर तीन महीने में दिए गए निर्देशों पर अमल की समीक्षा करेगी। कोर्ट ने ये भी कहा था कि आजादी के 67 साल बीत जाने के बाद भी सीमा की पूरी तरह से बाड़बंदी नहीं हो सकी है। संभव है कि निर्वासित किए गए लोग फिर से वापस आ जाएं। कोर्ट ने कहा कि 1985 में हुए असम समझौते के मुताबिक, 25 मार्च 1971 के बाद आए विदेशियों की पहचान कर उन्हें निर्वासित करना था। साथ ही समझौते में सीमा पर पूरी तरह से बाड़बंदी की भी बात थी। इस समझौते पर केंद्र, असम सरकार और ऑल असम स्टूडेंट यूनियन ने हस्ताक्षर किए थे। लेकिन न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार ने इस दिशा में समुचित काम किया।

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