सुप्रीम कोर्ट "मानिकी मलयया पोवी" गीत पर दर्ज FIR को रद्द करने की प्रिया वारियर की याचिका पर सुनवाई को तैयार, बुधवार को सुनवाई

LiveLaw News Network

20 Feb 2018 9:24 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट मानिकी मलयया पोवी गीत पर दर्ज FIR को रद्द करने की प्रिया वारियर की याचिका पर सुनवाई को तैयार, बुधवार को सुनवाई

    मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मंगलवार को अभिनेत्री प्रिया वारियर और मलयालम फिल्म 'ओरु अदार लव' के निर्देशक उमर अब्दुल वहाब की याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए याचिका पर सहमति जता दी है। अदालत बुधवार को ही मामले की सुनवाई करेगी जिसमें तेलंगाना राज्य और रजा अकादमी व जन जागरण समिति के तत्वावधान में मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को कथित तौर पर चोट पहुंचाने के लिए लोगों के एक समूह द्वारा दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की गई है।

    मंगलवार को वकील हैरिस बीरन ने इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया। याचिका बुधवार को सुनवाई के लिए निर्धारित की गई है।

    ये  विवाद फिल्म के "मानिकी मलयया पोवी" गीत से उत्पन्न हुआ है जो कि मपिला का गीत है, या केरल के मालाबार क्षेत्र से एक पारंपरिक मुस्लिम गीत है। यह गीत पैगंबर मोहम्मद और उनकी पहली पत्नी खदीजा के बीच प्रेम का वर्णन और प्रशंसा करता है।

     याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में वकील हैरिस बीरन और पल्लवी प्रताप के माध्यम से दायर याचिका में कहा है कि "तेलंगाना और महाराष्ट्र राज्यों में गाने के विकृत और गलत व्याख्या के आधार पर विभिन्न समूहों द्वारा आपराधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं और इसी तरह की शिकायतें अन्य गैर-मलयालम भाषी राज्यों में भी दर्ज होने की संभावना है।”

     याचिका में कहा गया है कि इस गीत को मूल रूप से केरल  के एक पुराने लोक गीत के तौर पर पीएमए जब्बार द्वारा 1978 में लिखा गया था, जिसे पहली बार थलासेरी रफीक ने पैगंबर और उनकी पत्नी बीवी खदीजा की प्रशंसा में गाया था।

     "बिना किसी आधार के यह दावा किया गया है कि यह मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं को नुकसान पहुंचाता है। यह समझना मुश्किल है कि पिछले 40 सालों से जो गाना आस्तित्व में है, जिसे मुस्लिमों ने ही लिखा,  गया और केरल में मुस्लिम समुदाय की ओर से पोषित हुए इस गीत को अब पैगंबर और उनकी पत्नी के अपमान के रूप में माना जा रहा है।” याचिकाकर्ताओं ने दलील दी।

    याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि युवा अभिनेत्री और उसके परिवार के जीवन के लिए खतरे को देखते हुए एफआईआर और आपराधिक शिकायतें अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करती हैं। यह भी तर्क दिया गया है कि एफआईआर और शिकायतों का पंजीकरण अनुच्छेद 19(1) (ए) और 19(1) (जी) का भी उल्लंघन है। याचिकाकर्ता ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के वायकॉम 18 मीडिया बनाम UOI  ('पद्मावत' मामले), नचिकेता वाल्हेकर बनाम सीबीएफसी (दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर वृत्तचित्र के बारे में) और एस खुशबू बनाम कन्नाईअमल ( 2010) पर भरोसा जताया है। गीत ने किसी विशेष समुदाय की धार्मिक भावनाओं का उल्लंघन किया है, इसे आधार बनाते हुए राज्यों द्वारा किसी भी आपराधिक कार्यवाही की शुरूआत करने या किसी शिकायत या एफआईआर दर्ज करने के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का दिशा निर्देश भी मांगा गया है।

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