सुनंदा पुष्कर मामला : SC ने सुब्रमण्यम स्वामी को कहा, पहले संतुष्ट कीजिए, याचिका सुनवाई योग्य है
LiveLaw News Network
29 Jan 2018 1:36 PM IST
सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले की SIT जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी को कहा है कि पहले वो कोर्ट को संतुष्ट करें कि उनकी याचिका सुनवाई योग्य है।
जस्टिस अरूण मिश्रा और जस्टिस अमिताव रॉय की बेंच ने कहा कि इस केस में मेरिट के आधार पर बाद में सुनवाई होगी। पहले याचिकाकर्ता ये संतुष्ट करें कि तीसरा पक्ष किसी आपराधिक मामले में याचिका दाखिल कर सकता है? ये याचिका सुनवाई योग्य है। बेंच ने इसके लिए स्वामी को तीन हफ्ते का वक्त दिया है।
वहीं इस दौरान स्वामी ने कहा कि ऐसे कई फैसले हैं जिनमें ऐसा हुआ है और वो कोर्ट को संतुष्ट कर देंगे।
गौरतलब है कि पिछले साल सुनंदा पुष्कर की मौत की हाईकोर्ट की निगरानी में CBI की SIT से जांच कराने की बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।
जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस आई एस मेहता ने कहा था कि ये पॉलिटिकल इंटरेस्ट लिटीगेशन यानी राजनीतिक हित याचिका का एक नमूना है। इस दौरान हाईकोर्ट ने स्वामी और सरकार पर तीखे सवाल भी दागे।
बेंच ने कहा कि अगर स्वामी के पास इस मामले के सबूत हैं तो अब तक पेश क्यों नहीं किए गए ? वो इन्हें क्यों छिपाए हुए हैं ? याचिकाकर्ता ने याचिका को ऑनलाइन पोस्ट कर दिया। क्या वो ये नहीं जानते कि इससे किसी की निजता क्या असर पडेगा ? क्या वो फिर से परिणामों को वापस ला सकते हैं ? ये भी आरोप लगाया है अमीर व शक्तिशाली लोगों ने जांच को प्रभावित किया लेकिन उन्होंने इनके नाम नहीं बताए। क्या वो नहीं जानते कि याचिकाकर्ता एक राजनीतिक पार्टी से संबंध रखते हैं और जिन पर आरोप हैं वो विपक्षी पार्टी से हैं ? क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं है कि वो सबूतों को पुलिस के सामने रखें ?
हाईकोर्ट ने इस दौरान पेश ASG संजय जैन से पूछा था कि क्या सरकार भी स्वामी की बातों का समर्थन करती है ? लेकिन ASG ने कहा कि सरकार उनके समर्थन में नहीं है और ना ही ये जनहित याचिका है। मामले की जांच चल रही है और दिल्ली पुलिस किसी से प्रभावित नही हुई है।
हालांकि इस दौरान स्वामी ने कहा कि कोर्ट उन पर ही सबूत छिपाने का आरोप लगा रहा है। वो कानून मंत्री रहे हैं और जानते हैं कि कोर्ट कैसे काम करते हैं। लेकिन बेंच ने इस याचिका को राजनीतिक हित याचिका बताते हुए खारिज कर दिया।
वैसे सुनवाई में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर नाराजगी जाहिर करते हुए जांच की धीमी रफ्तार को लेकर फटकार लगाई थी।
हाईकोर्ट ने कहा था कि यह अच्छी परंपरा नहीं कि हर मामले में कोर्ट निगरानी करे लेकिन हम जानना चाहते है कि जांच कहां तक पहुंची ?
हालांकि पुलिस ने कोर्ट से कहा था कि जांच में देरी नहीं हुई है और तकनीकी जांच उनके हाथों में नहीं है। मामले की जांच में कुछ एजेंसियों के साथ-साथ एम्स भी शामिल है और इस वजह से थोड़ा समय लग रहा है। पुलिस की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) संजय जैन ने कहा था कि मामला वैज्ञानिक जांच पर निर्भर है। एम्स में नमूने तीन बार भेजे गए। अधिकारी लैब रिपोर्ट के लिए अमेरिका भी गए। जांच पूरी होने के करीब है।
दरअसल कांग्रेसी नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर (52) दिल्ली के एक होटल के कमरे में 17 जनवरी, 2014 को मृत पाई गई थीं। घटना के एक साल बाद पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज किया था।
हाईकोर्ट भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें पुष्कर मौत मामले की जांच सीबीआई की अगुवाई में SIT से कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान स्वामी ने हाईकोर्ट से कहा था कि यदि जांच एजेंसियां इस नतीजे पर पहुंचती हैं कि मौत जहर के कारण हुई तो फिर यह मायने नहीं रह जाता कि जहर किस तरह का था ?