सुप्रीम कोर्ट ने सैनिटरी नैपकीन पर GST के खिलाफ दिल्ली और बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई पर रोक लगाई

LiveLaw News Network

23 Jan 2018 4:26 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने सैनिटरी नैपकीन पर GST के खिलाफ दिल्ली और बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई पर रोक लगाई

    सैनिटरी नैपकीन पर 12 फीसदी गुड एंड सर्विस टैक्स ( जीएसटी) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अब दिल्ली और बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की ट्रांसफर याचिका पर इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई पर रोक लगा दी है।

    सोमवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगवाई वाली बेंच ने ये आदेश जारी करते हुए कहा कि वो देखेंगे कि इस मामले की सुनवाई खुद सुप्रीम कोर्ट करे। बेंच ने इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं को नोटिस भी जारी किया है।

    इस दौरान केंद्र की ओर से पेश ASG पिंकी आनंद ने कहा कि इस मामले की सुनवाई दो अलग- अलग हाईकोर्ट में चल रही है और इन सुनवाई पर रोक लगाई जानी चाहिए।

    दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने 17 नवंबर को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार पर सवाल उठाए थे और पूछा था कि सैनिटरी नैपकीन पर जीएसटी लगाने का क्या औचित्य है ?

    जेएनयू की पीएचडी छात्रा जरमीना इसरार खान द्वारा याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि भारत की महिला के साथ ये भेदभाव है और यह असंवैधानिक है। सैनिटरी नैपकीन पर इस तरह से 12 फीसदी GST लगाना अवैध है। एक जुलाई 2017 से GST लागू किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि नैपकीन की चाहे जो भी वैल्यू हो उस पर एक दर से 12 फीसदी GST लगाया गया हैजबकि अन्य सामग्री में अन्य तरह से टैक्स लगाया गया है।

    महिलाओं के जीवन यापन के लिए सैनिटरी पैड एक आवश्यक वस्तु है और ये उनकी 'राइट टू लाइफ' और मर्यादा से जु़ड़ा हुआ है। साथ ही ये स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ा मामला है। महिलाओं के हेल्थ प्रॉटेक्शन से जुड़ा है। याचिकाकर्ता ने सैनिटरी नैपकीन पर 12 फीसदी GST लगाए जाने को खारिज करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि नैपकीन को GST से मुक्त किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने कहा कि काजल, कुमकुम, बिंदी, सिंदूर, अलता, कांच की चूड़ी, पूजा सामग्री और अन्य तरह के गर्भ निरोधक और कॉन्डम आदि को GST से अलग रखा गया है लेकिन नैपकीन को GST के दायरे में रखा गया है।

    वहीं 16 जनवरी 2018 को एक महिला संगठन की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा था कि वो सैनिटरी नैपकन को सस्ती दरों पर उपलब्ध कराने के लिए क्या कदम उठा सकता है।

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