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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा, राज्य बार काउंसिल बार एसोसिएशन के चुनावों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
20 Jan 2018 9:10 AM GMT
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा, राज्य बार काउंसिल बार एसोसिएशन के चुनावों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता [आर्डर पढ़े]
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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा है कि राज्य बार काउंसिल के पास बार एसोसिएशन के चुनावों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और विजय कुमार शुक्ला की पीठ ने अपने फैसले में कहा, “एडवोकेट्स एक्ट, 1961 को सिर्फ पढने से ही यह स्पष्ट पता चलता है कि न तो अधिनियम और न ही एडवोकेट वेलफेयर फंड एक्ट, 1982 बार एसोसिएशन द्वारा कराए गए चुनावों में हस्तक्षेप कर सकता है। एडवोकेट वेलफेयर फंड एक्ट, 1982 को बार एसोसिएशन मान्यता देता है ताकि वह बार एसोसिएशन के सदस्य को वेलफेयर फंड का लाभ देने के लिए उनको सदस्यता देता है।”

कोर्ट भिंड बार एसोसिएशन और गुना जिला बार एसोसिएशन द्वारा दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में स्टेट बार काउंसिल की अपीली समिति द्वारा पास उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसने बार एसोसिएशन के एक उम्मीदवार का चुनाव रद्द कर दिया था।

गुना जिला बार एसोसिएशन ने अपनी याचिका में कहा है कि स्टेट बार काउंसिल को उसके आतंरिक मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।

स्टेट बार काउंसिल ने इन याचिकाओं का यह कहते हुए विरोध किया था कि बार एसोसिएशन्स उनके सीधे अनुशासनात्मक नियंत्रण में हैं और बार एसोसिएशन्स के पास बिना किसी कारण के और स्टेट बार काउंसिल को बताए बिना किसी एडवोकेट की सदस्यता समाप्त करने का अधिकार नहीं है ।

कोर्ट ने कहा कि बीडी कौशिक मामले के फैसले में यह नहीं कहा गया था कि बार काउंसिल बार एसोसिएशन के चुनावों में हस्तक्षेप कर सकता है। कोर्ट ने आगे कहा कि स्टेट बार काउंसिल उनके समक्ष ऐसा कोई भी प्रावधान सामने लाने में सफल नहीं रहा जो काउंसिल को बार एसोसिएशन के आतंरिक मामले में हस्तक्षेप का अधिकार देता है।

कोर्ट ने इसके बाद आरएन तिवारी बनाम स्टेट बार काउंसिल ऑफ़ एमपी एंड अदर्स AIR 1995 MP 137 मामले में फैसले पर भरोसा जताया। इस फैसले में कहा गया था कि बार काउंसिल को बार एसोसिएशन की चुनाव प्रक्रिया के मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।

इसलिए कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई की अनुमति दे दी। कोर्ट ने कहा कि अधिनियम और एडवोकेट वेलफेयर फंड एक्ट के प्रावधानों पर गौर करने के बाद उसको ऐसा नहीं लगा कि स्टेट बार काउंसिल को बार एसोसिएशन के चुनावों में हस्तक्षेप करने का अधिकार है।


 
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