दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा, मेरिटल रेप आईपीसी की धारा 498A के तहत क्रूरता के रूप में पहले ही अपराध घोषित

LiveLaw News Network

20 Jan 2018 6:05 AM GMT

  • दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा, मेरिटल रेप आईपीसी की धारा 498A के तहत क्रूरता के रूप में पहले ही अपराध घोषित

    दिल्ली सरकार ने वृहस्पतिवार को दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कि मेरिटल रेप को आईपीसी की धारा 498A के तहत पहले ही क्रूरता घोषित किया जा चुका है और इसलिए इसको दंडित करने के लिए किसी नए प्रावधान की जरूरत नहीं है।

    धारा 498A उस समय लागू होता है जब किसी विवाहित महिला के साथ उसका पति या रिश्तेदार क्रूरता से पेश आता है। क्रूरता को जानबूझकर किया गया ऐसा व्यवहार माना गया है जो किसी महिला को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दे या उस महिला की जान, शरीय या स्वास्थ्य को गंभीर ख़तरा (मानसिक या शारीरिक) उत्पन्न हो जाए।

    दिल्ली सरकार की अतिरिक्त स्थाई वकील नंदिता राव ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरी शंकर की पीठ को यह दलील उन याचिकाओं की सुनवाई पर दी जिनमें मेरिटल रेप को अपराध घोषित करने की मांग की गई थी। इन याचिकाओं में धारा 375 के अपवाद 2 को चुनौती दी गई है जिसमें कहा गया है कि अगर किसी की पत्नी जो अभी 15 की साल नहीं है, के साथ शारीरिक संबंध या यौन संबंध बलात्कार नहीं है।

    याचिका में आईपीसी की धारा 376B को भी चुनौती दी गई है जिसमें कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ उसकी मर्जी के खिलाफ यौन संबंध बनाता है जो कि उससे कानूनी कारण या किसी और कारण से अलग रह रही है तो उसको कमसे कम दो साल की सजा होगी और इसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है और उसको जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।

    राव ने कहा कि आईपीसी की धारा 375 के तहत वैवाहिक बलात्कार को अपराध नहीं मानने से संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन नहीं होता है क्योंकि निजी क़ानून के तहत पत्नी अपने उस पति के साथ रहने के लिए बाध्य नहीं है जो उसका यौन शोषण करता है और जो कि तलाक का आधार बनता है।

    उन्होंने आगे कहा कि अगर कोर्ट को लगता है कि धारा 375 का अपवाद 2 अनुच्छेद 21 और 14 का उल्लंघन करता है तो उसे पूरी धारा को हो समाप्त करना होगा पर कोर्ट नई धारा नहीं बना सकता और क्योंकि ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद  20 का उल्लंघन होगा।

    इस मामले के दो याचिकाकर्ता हैं आरटीआई फाउंडेशन और आल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेंस एसोसिएशन (AIDWA)।

    याचिकाकर्ताओं की वकील करुणा नंदी ने अपने मौखिक और लिखित दलील में कहा कि आईपीसी 1860 की धारा 375 के अपवाद 2 ने मेरिटल रेप के बारे में जो कहानी गढ़ी है उसकी वजह से लाखों महिलाओं को कानूनी रूप से बलात्कार का शिकार बना दिया है।

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