एक साथ वोटों की गिनती : सुप्रीम कोर्ट टोटलाइजर प्रक्रिया पर 12 फरवरी को करेगा सुनवाई
LiveLaw News Network
13 Jan 2018 10:02 AM IST
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने शुक्रवार को चुनाव में बूथ वार मतगणना के स्थान पर एक साथ यानी कलस्टर गिनती की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई की।
इस दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील ने कहा, "संसद, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनावों में मतों की गिनती के लिए 'टोटलाइजर' प्रणाली को अपनाया जाना चाहिए। यह मतदाताओं के बीच सुरक्षा की भावना पैदा करेगा और यदि किसी अन्य उम्मीदवार को सत्ता में आने की स्थिति में वे अपने उत्पीड़न के खिलाफ एक जांच के रूप में काम करेंगे। जब किसी विशेष मतदान बूथ पर मतदान पैटर्न की पहचान हो सकती है तो ये स्थानीय समस्याओं को जन्म देती है। "
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) मनिंदर सिंह ने केंद्र सरकार के टोटलाइजर के विरोध के पक्ष को रखा और बताया कि इस संबंध में 7 सितंबर, 2016 को मंत्रियों के एक समूह ने चर्चा की। सभी राष्ट्रीय राजनीतिक नेताओं के साथ साथ भारतीय चुनाव आयोग ( ECI) से भी परामर्श किया गया। इसके आधार पर भारत सरकार टोटलाइजर के पक्ष में नहीं है।
हालांकि अटॉर्नी जनरल (एजी) के के वेणुगोपाल ने कहा कि उनका इस मुद्दे पर एक अलग दृष्टिकोण है। 1 961 के चुनाव नियमों के आचरण के नियम 59 ए से पहले चुनाव आयोग सभी बैलेट पेपर को मिला देता था।
चुनाव आयोग की ओर से उपस्थित वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने संपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव परिणामों की घोषणा के लिए 'टोटलाइजर' प्रक्रिया का समर्थन करते हुए कहा कि मतदाता की गोपनीयता के अधिकार की रक्षा करने के लिए ये सुझाव दिया गया है।
मतदाताओं का मतदान पैटर्न को उजागर न करके, अगर उम्मीदवार जिसके लिए एक विशिष्ट इलाके के लिए मतदान नहीं हुआ है, उसके सत्ता में आने पर, उस इलाके के खिलाफ टकराव को रोका जा सकेगा। खासतौर से छोटे शहरों में इसका ज्यादा महत्व है। मतदाता की निजता और गोपनीयता के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट ने भी नोटा मामले विचार किया है।
बेंच ने ये साफ किया कि वो सिर्फ टोटलाइजर के मुद्दे पर ही सुनवाई करेगी और इस मामले की अंतिम सुनवाई के लिए 12 फरवरी की तारीख तय की है।