Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

देशभर के सभी प्रोजेक्ट का ब्यौरा दे जेपी एसोसिएटस: सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network
10 Jan 2018 12:10 PM GMT
देशभर के सभी प्रोजेक्ट का ब्यौरा दे जेपी एसोसिएटस: सुप्रीम कोर्ट
x

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम कदम उठाते हुए जेपी एसोसिएटस लिमिटेड ( JAL) से कहा है कि वो देशभर में चल रहे आवासीय प्रोजेक्ट का ब्यौरा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करे।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने एमिक्स क्यूरी पवन सी अग्रवाल को JAL के सभी निवेशकों के लिए वेब पोर्टल बनाने के लिए भी है।

वहीं कोर्ट ने JAL को कहा कि निवेशकों को या तो फ्लैट मिले या रुपये, ये ही कोर्ट की प्राथमिकता है वरना तिहाड जेल ज्यादा दूर नहीं है।

वहीं JAL की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और वकील अनुपम लाल दास ने RBI की उस अर्जी का विरोध किया जिसमें जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड ( JIL) के साथ साथ JAL के खिलाफ भी दिवालापन प्रक्रिया शुरु करने की मांग की गई है। दोनों ने कहा कि दोनों कंपनियां अलग हैं और अगर ये किया गया तो JAL के प्रोजेक्ट भी रुक जाएंगे और निवेशक परेशान होंगे। कोर्ट के आदेश के मुताबिक JAL लगातार रुपये जमा करा रहा है और 25 जनवरी तक वो 125 करोड रुपये और जमा कराएंगे।

वहीं JAL के स्वतंत्र निदेशकों की ओर से वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कोर्ट में पेशी से छूट और विदेश जाने की इजाजत मांगी। कोर्ट ने पेशी से छूट दे दी लेकिन बिना इजाजत देश छोडने की बात नहीं मानी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो मामले की सुनवाई 5 फरवरी को करेगा।

गौरतलब है 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जेपी एसोसिएटस लिमिटेड (JAL) अब 31 दिसंबर की बजाए  25 जनवरी 2018 तक  125 करोड रुपये जमा कर सकता है।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगवाई वाली बेंच ने ये राहत दी थी। जेपी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि कोर्ट के आदेश के तहत 14 दिसंबर तक 150 कराने थे जो कंपनी ने जमा करा दिए हैं लेकिन कंपनी 31 दिसंबर तक 125 करोड रुपये जमा नहीं कर सकती। इसके लिए दो महीने का वक्त दिया जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 25 जनवरी तक  का ही वक्त दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि अगर आदेश का पालन नहीं हुआ तो ये कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने  जेपी एसोसिएटस  के निदेशकों के संपत्ति बेचने पर  रोक लगा दी थी। कोर्ट ने ग्रुप को 14 दिसंबर को 150 करोड़ रुपये और 31 दिसंबर को 125 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया था। इसके साथ ही जेपी की ओर से जमा कराई गई 275 करोड़ रुपये की रकम को स्वीकार कर लिया था। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस डी.वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय बेंच ने सभी 13 निदेशकों की निजी संपत्ति को फ्रीज कर लिया था और कहा था कि कोर्ट  के आदेश के बिना ये लोग अपनी संपत्ति नहीं बेच सकेंगे। यही नहीं निदेशकों के पारिवारिक सदस्य भी अपनी संपत्ति नहीं बेच सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने एक बडा कदम उठाते हुए जयप्रकाश  एसोसिएटस लिमिटेड ( JAL)  के सभी डायरेक्टर को कोर्ट में पेश होने को कहा था।

 सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने जयप्रकाश एसोसिएटस लिमिटेड ( JAL) की उस अर्जी को नकार दिया था जिसमें उसने 2000 करोड रुपये की बजाए 400 करोड रुपये सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराने की गुहार लगाई थी।

गौरतलब है कि 26 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने जयप्रकाश एसोसिएटस लिमिटेड ( JAL)  की यमुना एक्सप्रेस वे को 2500 करोड में दूसरी कंपनी को सौंपने की मांग को खारिज कर अपने आदेश में संशोधन करने से इंकार कर दिया था।  हालांकि कोर्ट ने 27 अक्तूबर की बजाए जेपी ग्रुप को 5 नवंबर तक 2000 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया था।

 बेंच को ग्रुप की ओर से कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने बताया था कि वो 165 किलोमीटर लंबे 6 लेन के यमुना एक्सप्रेस वे को किसी दूसरी कंपनी को 2500 करोड रुपये में सौंपना चाहता है ताकि वो निवेशकों के वापस करने के लिए दो हजार करोड रुपये दे सके। उन्होंने सील कवर में ये कागजात भी कोर्ट में दाखिल किए थे। AG केके वेणुगोपाल ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि इस तरह एक्सप्रेस वे किसी तीसरे पक्ष को नहीं दिया जा सकता क्योंकि इसमें यमुना एक्सप्रेव वे अथारिटी और यूपी सरकार भी स्टेक होल्डर हैं। इसके अलावा इसके प्रोजेक्ट से 15 वित्तीय संस्थान भी जुडे हैं। जेपी ने ये हाइवे बोली लगाकर लिया था और इसे किसी तीसरे पक्ष को नहीं दिया जा सकता। वहीं IRB की ओर से कहा गया कि जेपी 22 हजार फ्लैट देने में नाकाम रहा है और मार्च 2021 तक 5000 करोड रुपये और चाहिए। देर शाम जारी आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने जेपी की मांग ठुकरा दी थी। 23 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने जेपी को संपत्ति बेचने की इजाजत दी जाए या नहीं, इस पर अटार्नी जरनल और आईआरबी से राय मांगी थी।  9 अक्तूबर को भी सुप्रीम कोर्ट ने जेपी को राहत देने से इंकार कर दिया था।  सुप्रीम कोर्ट  ने जेपी को कहा था कि कंपनी को 27 अक्तूबर तक दो हजार करोड रुपये जमा कराने ही होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने 11 सितंबर को आदेश जारी कर जेपी को सुप्रीम कोर्ट में दो हजार करोड रुपये जमा कराने के आदेश दिए थे। इससे पहले 11 सितंबर को जेपी इन्फ्राटेक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिवाला प्रक्रिया पर लगी रोक में संशोधन करते हुए दिवाला प्रक्रिया को फिर से बहाल कर दिया था। साथ ही जेपी को झटका देते हुए कहा था कि JP इंफ्रा और एसोसिएटस के प्रंबंध निदेशक व निदेशक सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना देश छोडकर नहीं जाएंगे।  27 अक्टूबर तक जेपी एसोसिएटस सुप्रीम कोर्ट में 2000 करोड रुपये जमा करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इनसॉलवेंसी रिसॉलवेंसी प्रोफेशनल जेपी से सारा रिकार्ड हासिल करेंगे और फ्लैट बार्यस के भले के लिए एक योजना तैयार कर 45 दिनों में सुप्रीम कोर्ट में देंगे।

बेंच ने कहा था कि  ICCI, IDBI और SBI को छोडकर दिवाला प्रक्रिया में शामिल कोई भी व्यक्ति देश छोडकर नहीं जाएगा। कोर्ट ने कहा कि ये बडे स्तर की मानव संबंधित दिक्कतें हैं और कोर्ट खरीदारों के लिए बेहद चिंतित है। खरीददार मध्यम वर्ग से हैं कोर्ट उनके लिए चिंतित हैं। कोर्ट को बिल्डर कंपनियों के बारे में चिंता नहीं है।

जेपी इंफ्राटेक मामले में नया मोड आ गया था जब IDBI बैंक सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और जेपी इन्फ्रा दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के आदेश पर संशोधन की मांग की थी। IDBI बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि जो सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया उससे फ्लैट खरीदारों को नही बल्कि जेपी को फ़ायदा हुआ है।

पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद स्थित नेशनल  कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के 9 अगस्त के आदेश पर रोक लगा दी थी।

Next Story