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स्कूलों में सुरक्षा को लेकर 19 जनवरी तक जवाब दाखिल करे केंद्र और राज्य : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network
8 Jan 2018 9:34 AM GMT
स्कूलों में सुरक्षा को लेकर 19 जनवरी तक जवाब दाखिल करे केंद्र और राज्य : सुप्रीम कोर्ट
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देशभर के स्कूलों में छात्रों की सुऱक्षा के लिए दिशा निर्देश जारी करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को 19 जनवरी तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।

जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस ए एम सपरे की बेंच ने कहा कि ये मामला गंभीर है और इस पर सुनवाई की जरूरत है। दरअसल याचिकाकर्ताओं की ओर से बताया गया कि कोर्ट के निर्देश के बावजूद सिर्फ हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई 23 जनवरी को की जाएगी।

इससे पहले चार दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई थी क्योंकि जस्टिस ए एम खानविलकर ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। इसके बाद ये मामला जस्टिस आर के अग्रवाल की बेंच में भेजा गया है।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को कहा था कि स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और जवाबदेही को लेकर दिशा निर्देश बनाने को लेकर सुझाव दें। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था कि बच्चे स्कूल में भय के माहौल में ना रहे, ऐसे दिशा निर्देश बनाने की जरूरत है।

सुनवाई के दौरान SG रंजीत कुमार ने कोर्ट को बताया था  कि सीबीएसई पहले ही हलफनामा दाखिल कर चुका है। केंद्र ने इस मामले में पहले ही गाइडलाइन बनाई हैं और फरवरी में तीन गाइडलाइन और जोडी हैं। ये विषय राज्य सरकारों का है कि वो इनका पालन कराएं।

6 अक्तूबर को सोहना के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में छात्र प्रद्युम्न की हत्या के मामले में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था। हलफनामे में कहा गया है कि स्कूल में गंभीर अनियमितताएं व सुरक्षा खामियां पाई गईं हैं। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में CBSE ने घटना के बाद स्कूल का मुआयना करने वाली समिति की रिपोर्ट को संलग्न किया है। रिपोर्ट के मुताबिक स्कूल में कई मुख्य स्थानों  पर CCTV कैमरे नहीं थे और जहां थे तो लगे तो वो काम नहीं कर रहे थे। स्टाफ के लिए अलग से शौचालय नहीं थे।बिजली से जुडे पैनल खुले पड़े थे जबकि ऐसी खतरनाक जगहों पर ताले लगे होने चाहिए ताकि छात्र उसकी चपेट में न आएं। रिपोर्ट में कहा गया है कि  छात्रों के लिए पीने का साफ पानी तक नहीं था और छात्र  हैंडपंप का पानी पीने को मजबूर थे।यहां तक कि स्कूल ने अपनी ओर से FIR भी दर्ज नहीं की।कई जगहों पर स्कूल की चारदीवारी भी टूटी थी।

गौरतलब है कि 11 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार, हरियाणा के डीजीपी, सीबीआई और सीबीएसई को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब मांगा था। मामले की जांच पहले ही हरियाणा सरकार सीबीआई को सौंप चुकी है।

प्रद्युम्न के पिता और कुछ वकीलों की याचिका पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने नोटिस जारी किया था। प्रद्युम्न के पिता बरुण ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि इस पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई से फ्री एंड फेयर और फुलप्रूफ जांच कराई जाए। देश के सभी स्कूलों के मैनेजमेंट की जवाबदेही, देनदारी और जिम्मेदारी तय की जाए। भविष्य में स्कूल के भीतर बच्चों के साथ किसी भी तरह की घटना होती है तो मैनेजमेंट , डायरेक्टर, प्रिंसिपल, प्रमोटर सबके खिलाफ लापरवाही बरतने के आरोप के तहत कार्रवाई हो। याचिका में ये भी कहा गया है कि इस तरह की घटना होने से स्कूल की मान्यता या लाइसेंस रद्द किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक कमीशन बनाया जाए जो स्कूलों को लेकर सिफारिश दे। प्रद्युम्न के परिवार के सुरक्षा सुनिश्चित करने लिए कोर्ट दिशा निर्देश जारी करे। स्कूलों में इस तरह की होने वाली घटनाओं पर सुनवाई के लिए एक स्वतंत्र संवैधानिक बॉडी या ट्रिब्यूनल का गठन किया जाए। इस पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र और निष्पक्ष सीबीआई से जांच कराई जाए।

वहीं इस मामले में वकील आभा शर्मा समेत कुछ वकीलों ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस याचिका में कहा गया है कि रेयॉन की घटना के बाद से देश भर के अभिभावकों में डर का माहौल है। बच्चों की सुरक्षा के लिए जो पालिसी तैयार की गई है ज्यादातर स्कूल उसका पालन नहीं करते।इसके अलावा देश भर में बच्चो की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त गाइडलाइन बनाई जाए। याचिका में ये भी कहा गया है कि जो पहले से ही जो दिशा निर्देश बनाए गए है अगर कोई स्कूल उनका पालन नहीं करता तो उन स्कूलों का लाइसेंस रद्द किया जाना चाहिए।

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