महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की जरूरत नहीं : एमिक्स अमरेंद्र शरण ने SC में दाखिल की रिपोर्ट

LiveLaw News Network

8 Jan 2018 9:10 AM GMT

  • महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की जरूरत नहीं : एमिक्स अमरेंद्र शरण ने SC में दाखिल की रिपोर्ट

    महात्मा गांधी की हत्या की दोबारा जांच की मांग वाली याचिका पर एमिक्स क्यूरी वरिष्ठ वकील अमरेंद्र शरण ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दाखिल करते हुए कहा है कि इस हत्याकांड की दोबारा जांच की आवश्यकता नहीं है।

    करीब 35 पन्नों की अपनी रिपोर्ट में शरण ने कहा है कि ऐसा कोई सबूत नही मिला है जिससे ये साबित होता हो कि महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने नहीं बल्कि किसी और ने की हो।साथ ही याचिकाकर्ता पंकज फडनिस के उस दावे को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि महात्मा गांधी को तीन नहीं बल्कि चार गोलियां लगी थीं। रिपोर्ट के मुताबिक  एक गोली महात्मा गांधी के शरीर में थी और दो बाहर से मिली जबकि दो खाली कारतूस बाहर से देवदास गांधी ने बरामद किए। ये सभी आपस में मैच कर गए थे।  चौथी गोली ग्वालियर से मिली थी जो गोडसे की पिस्तौल से मैच नहीं करती

    अमरेंद्र शरण ने ये भी कहा है कि ऐसा कोई सबूत नही मिला है जो ये साबित करे कि महात्मा गांधी की हत्या के पीछे किसी और का हाथ था।
    सुप्रीम कोर्ट  12 जनवरी को इस मामले की सुनवाई करेगा।

    इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महात्मा  गांधी की हत्या की दोबारा जांच की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर कोर्ट फिलहाल सुनवाई करता रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ये तय करेगा कि क्या महात्मा गांधी की हत्या के मामले की दोबारा जांच के आदेश दिए जा सकते हैं ? जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने इस मामले में वरिष्ठ  वकील अमरेंद्र शरण को एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया था।
    बेंच ने अमरेंद्र शरण को दस्तावेज देखकर ये बताने को कहा था कि इस केस में पर्याप्त सबूत हैं कि दोबारा जांच के आदेश दिए जा सकते हैं या नहीं। इसी दौरान बेंच ने याचिकाकर्ता को कहा था कि कोर्ट किसी दोषी व्यक्ति को तो सजा दे सकता है लेकिन किसा संगठन को कैसे सजा दी जाए। सवाल है कि अगर महात्मा गांधी की हत्या के पीछे कोई तीसरा शख्स था तो वो कौन था, क्या वो जिंदा है ? जस्टिस बोबडे ने कहा था कि इसके लिए सबूत कहां से आएंगे ये भी बडा सवाल है।

    वहीं याचिकाकर्ता पंकज कुमुद चंद्र फडनिस  का कहना था कि इस हत्या के पीछे फोर्स 136 संगठन का हाथ था और सुप्रीम कोर्ट को मामले की छानबीन करनी चाहिए।ये मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि अगर इस साजिश से पर्दा उठेगा तो भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध आत्मीय हो जाएंगे। इससे पहले प्रिवी कौंसिल ने  भी 1949 में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट को जांच करनी चाहिए लेकिन इसी दौरान दो लोगों को फांसी दे दी गई। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो याचिकाकर्ता के उत्साह की तारीफ करता है लेकिन इस केस में फिलहाल कोई तथ्य नहीं दिख रहा।दरअसल महात्मा गांधी की हत्या को लेकर कई सवाल सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में उठाए गए हैं और साथ ही अनुरोध किया गया है कि नया जांच आयोग गठित करके गांधी की हत्या के पीछे की बड़ी साजिश का खुलासा किया जाए।
    याचिका में  क्या यह इतिहास में मामला ढकने की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है और क्या उनकी मौत के लिए विनायक दामोदर सावरकर को जिम्मेदार ठहराने का कोई आधार है या नहीं ?

    अभिनव भारत, मुंबई के शोधार्थी और न्यासी डाक्टर पंकज फडनिस द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया है कि वर्ष 1966 में गठित जस्टिस कपूर जांच आयोग पूरी साजिश का पता लगाने में नाकाम रहा। यह साजिश राष्ट्रपिता की हत्या के साथ पूरी हुई।
    फडनिस ने गोडसे और नारायण आप्टे सहित अन्य आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए विभिन्न अदालतों द्वारा सही मानी गई तीन गोलियों की कहानी पर भी सवाल उठाए। दोषियों को 15 नवंबर 1949 को फांसी पर लटकाया गया था जबकि सावरकर को सबूतों के अभाव में संदेह का लाभ दिया गया। सावरकर से प्रेरित होकर अभिनव भारत, मुंबई की स्थापना 2001 में हुई थी और इसने सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए काम करने का दावा किया था।

    फडनिस ने दावा किया है कि उनका शोध और उन दिनों की खबरें बताती हैं कि महात्मा गांधी  को तीन नहीं बल्कि चार गोलियां मारी गई थीं और तीन तथा चार गोलियां के बीच अंतर अहम है क्योंकि गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को जिस पिस्तौल से महात्मा को गोली मारी थी उसमें सात गोलियों की जगह थी और बाकी की चार बिना चली गोलियां पुलिस ने बरामद की थीं। ऐसे में यह तय है कि उस पिस्तौल से सिर्फ तीन गोलियां चलीं। उन्होंने याचिका में कहा कि इस (गोडसे) पिस्तौल से चौथी गोली आने की कोई संभावना नहीं है। यह दूसरे हत्यारे की बंदूक से आई जो कि वहीं मौजूद था।

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