हरियाणा न्यायिक परीक्षा प्रश्नपत्र लीक मामला : कोर्ट ने विशेष जांच दल बनाया, पूर्व भर्ती रजिस्ट्रार गिरफ्तार

LiveLaw News Network

30 Dec 2017 2:49 PM GMT

  • हरियाणा न्यायिक परीक्षा प्रश्नपत्र लीक मामला : कोर्ट ने विशेष जांच दल बनाया, पूर्व भर्ती रजिस्ट्रार गिरफ्तार

    पंजाब और हरियाणा कोर्ट के आदेश पर गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने राज्य के पूर्व रजिस्ट्रार (भर्ती) डॉ. बलविंदर शर्मा को गिरफ्तार कर लिया है। डॉ. शर्मा के खिलाफ इस बात के सबूत हैं कि वे इस मामले के मुख्य आरोपी के साथ लगातार संपर्क में थे।  एसआईटी का नेतृत्व एसपी (अपराध और जांच) रवि कुमार सिंह कर रहे हैं। शर्मा को रोपड़ से गिरफ्तार किया गया।

    जांच से पता चला कि शर्मा और इस परिक्षा में बैठने वाली सुनीता और सुशीला के बीच सैकड़ों बार फोन पर बातें हुईं। ये दोनों ही उम्मीदवार बाद में इस परिक्षा में क्रमशः सामान्य और आरक्षित श्रेणी में शीर्ष पर रहीं।

    हाई कोर्ट ने 15 सितम्बर को इस मामले की जांच चंडीगढ़ पुलिस को सौंप दी थी क्योंकि परिक्षा वहीं हुई थी। एसआईटी का गठन 18 सितम्बर को हुआ और उसके बाद इस मामले में एफआईआर दर्ज किया गया।

    शर्मा की गिरफ्तारी भर्ती/प्रोमोशन/कोर्ट क्रिएशंस कमिटी के कहने पर हुई जिसने सितम्बर में कहा था कि “जांच के बाद यह देखते हुए कि डॉ. बलविंदर शर्मा, रजिस्ट्रार (भर्ती) ने यह कहा था कि वह सामान्य श्रेणी में टॉप करने वाली सुनीता को पहले से नहीं जानता था, पर कॉल विवरण के अनुसार दोनों के बीच पिछले एक साल में 760 कॉल्स और एसएमएस का आदान प्रदान हुआ। इसे देखते हुए इस मामले की गहराई से जांच की जरूरत महसूस की गई। इसलिए कमिटी ने सुझाव दिया कि डॉ. बलविंदर शर्मा के खिलाफ प्रारम्भिक जांच के आधार पर जांच बिठाई जाए।

    क्या है पूरा मामला

    20 मार्च को हरियाणा लोक सेवा आयोग ने अधीनस्थ न्यायिक सेवाओं के तहत एचसीएस (न्यायिक शाखा) के लिए 109 पदों की भर्ती का विज्ञापन दिया। सुमन, जो कि वकील हैं, ने भी इसके लिए आवेदन किया और प्रारम्भिक परीक्षा के लिए चंडीगढ़ की जूरिस्ट एकेडेमी जाना शुरू किया।

    पंचकुला की रहनेवाली सुशीला नामक एक महिला ने भी इस एकेडेमी में प्रवेश लिया। सुमन और सुशीला दोस्त बन गए और आपस में नोट्स साझा करने लगे। 25 मई को एचसीएस प्रारम्भिक परिक्षा की घोषणा हुई जिसके मुताबिक़ 16 जुलाई को परिक्षा होनी थी।

    28 जून को सुशीला ने सुमन के साथ एक ऑडियो रिकॉर्डिंग शेयर किया जिसमें वह सुनीता नामक एक महिला से बात कर रही थी जो उसे डेढ़ करोड़ रुपए देने के बदले अधीनस्थ न्यायिक अधिकारी के रूप में नियुक्ति का वादा कर रही थी। बाद में सुशीला ने उसे बताया कि सुनीता उसको प्रारम्भिक परीक्षा का प्रश्नपत्र दिला सकती है।

    याचिकाकर्ता और उसके पति सत्य जानने के लिए सुशीला के साथ प्रश्नपत्र उपलब्ध कराए जाने के बारे में बात करने लगे।

    जुलाई 16 के आसपास सुशीला ने सुमन को बताया कि उसने सुनीता के साथ एक डील किया है और उसने पांच-छह प्रश्न बताए जो उसने कहा कि प्रारम्भिक परिक्षा में पूछे जाएंगे। सुमन यह देखकर हैरान थी कि ये सारे प्रश्न परीक्षा में आए।

    सुशीला ने सुमन को यह भी कहा था कि आप कितनी भी तैयारी कर लो कुछ नहीं होने वाला है क्योंकि साधारण श्रेणी के सभी सीट या तो बुक हो गए हैं या वे बेच दिए गए हैं।

    याचिकाकर्ता के पति ने पुलिस महानिदेशक से इसकी शिकायत 19 जुलाई को की पर उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।

     सुमन ने हाई कोर्ट का रुख किया

    मनोज ने इसके बाद पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में शिकायत दर्ज की और अपनी शिकायत के साथ एक सीडी भी संलग्न कर दिया जिसमें सुनीता, सुशीला और सुमन की बातचीत दर्ज थी।

    5 अगस्त को मनोज और सुमन ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामला दर्ज करने और इसकी जांच का आग्रह किया।

    एकल जज ने 8 अगस्त को मामले पर गौर किया और रजिस्ट्रार ने उनको बताया कि मामले की जांच की जा रही है।

    16 अगस्त को एकल जन ने कहा, “...मेरा मानना है कि जांच बहुत ही ऊंचे स्तर पर होनी चाहिए और अब यह अदालत इस पर विचार करेगी...”।

     सुशीला परिक्षा में टॉप की

    इस परिक्षा का परिणाम कोर्ट में पेश किया गया और यह पाया गया कि सुशीला और सुनीता ने इस परिक्षा में टॉप किया है। एकल जज ने परिक्षा परिणाम की घोषणा पर रोक लगा दिया।

    कोर्ट ने कहा, “इस कोर्ट के रजिस्ट्रार (भर्ती) को आदेश दिया जाता है कि वह इस बारे में हलफनामा दायर करे कि प्रश्नपत्र सेट किए जाने से लेकर इसे परिक्षा हॉल में बांटने तक किसने इन कार्यों को अंजाम दिया। उस अधिकारी का नाम भी बताया जाए जिसने आधिकारिक रूप से प्रश्नपत्र की छपाई का कार्य देखा है और यह भी कि क्या कोई बाहरी व्यक्ति उस कमरे में दाखिल हुआ था जिसमें प्रश्नपत्रों की छपाई हो रही थी जबकि उसका इस कार्य से कोई लेनादेना नहीं था...”।

    इसके बाद भर्ती समिति इस मामले को एकल जज की अदालत से कहीं और स्थानांतरित करने के प्रयास में लग गई।

    जब एकल जज ने इस मामले में बड़े और ताक़तवर लोगों के शामिल होने का संकेत देते हुए आदेश पास किया, तो भर्ती समिति के सदस्यों ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को आवेदन कर इस मामले को अन्यत्र स्थानांतरित करने का अनुरोध किया।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश की प्रतीक्षा किए बिना कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने 29 अगस्त को यह मामला एकल जज की अदालत से वापस ले लिया।

    सुमन ने इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में आवेदन किया। पर सुप्रीम कोर्ट ने उसके आवेदन पर सुनवाई नहीं की और उससे कहा कि हाई कोर्ट के निर्णय के बाद ही वह उसके पास आए।

    15 सितम्बर को तीन-सदस्यीय बेंच ने चंडीगढ़ पुलिस को इस मामले में एफआईआर दर्ज करने को कहा। और 18 सितम्बर को उसने तीन-सदस्यीय एसआईटी के गठन का आदेश दिया।  नवंबर में सुनीता की गिरफ्तारी हुई।

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