2G घोटाला : वैधता बनाम अपराधिता
LiveLaw News Network
25 Dec 2017 5:26 PM IST
2 जी "घोटाले" के फैसले ने टेक्नोक्रेटों का वर्चस्व रखने वाले भारतीय मध्यमवर्ग को चौंका दिया है। इसका उत्तर वैधता और अपराधीकरण के बीच के बीच के अंतर को समझने में उनकी असफलता में छिपा है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने रिट क्षेत्राधिकार के तहत 2 जी लाइसेंस आवंटन की वैधता का परीक्षण किया और अंत में 2012 में इस आधार पर आवंटन को रद्द कर दिया कि उक्त आवंटन मनमाना था क्योंकि इसमें सार्वजनिक कार्रवाई की पारदर्शी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था।
दूसरी ओर, अपराध एक अलग प्रक्रिया है जिसके तहत दंड कानून के जरिए उन लोगों को सजा देने का प्रावधान है जिन्होंने निर्णय लिया है, लेकिन रिश्वत लेने या वादा करने के बाद।
आपराधिक दायित्व का मुख्य स्त्रोत सावर्जनिक नौकर द्वारा निर्णय लेने से मिला लाभ है।
यदि रिश्वत या लाभ के प्रमाण मौजूद हैं, तो सरकारी नौकर द्वारा लिया गया सही फैसला भी उसे सजा से नहीं बचा सकता। समान रूप से यदि कोई रिश्वत या लाभ नहीं है, तो गलत निर्णय भी सजा को आकर्षित नहीं करेगा।
जब विशेष जज सैनी ने कहा कि सीबीआई द्वारा - जो कि देश की सबसे बडी जांच एजेंसी है, द्वारा चार्जशीट किए गए सभी 16 आरोपी दोषी नहीं हैं, तो वो केवल भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 13 (1) के तहत अपराध को देख रहे थे।
चूंकि सैनी को इस मामले में कोई रिश्वत देने के सबूत नहीं मिल पाए, जबकि इसमें राजा और कनिमोझी जैसी राजनीतिक हस्तियां शामिल थीं, उनके पास ये कहने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था कि वे दोषी नहीं हैं। भले ही 2 जी आवंटन में उनका फैसला गलत था क्योंकि पहले से ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसे गलत ठहराया जा चुका था।
2 जी मामले में रिश्वत या लाभ का एकमात्र आरोप कनिमोझी परिवार द्वारा नियंत्रित कंपनी को 2 जी आवंटित कंपनी में से एक द्वारा 200 करोड़ रुपये के ऋण का अनुदान था। दूरसंचार मंत्री राजा और सांसद कनिमोझी को ऋण के नाम पर रिश्वत को पुनर्जीवित करने का आरोप लगाया गया था। लेकिन जज के निर्णय में उल्लिखित कारणों से आरोप को खारिज कर दिया गया। सैनी ने लिखा है कि सीबीआई ने यह साबित करने के लिए कोई विश्वसनीय सबूत पेश नहीं किया कि जमा लोन वास्तव में रिश्वत है।शायद जज सैनी ने ये इसलिए सोचा क्योंकि कथित रिश्वत चेक के द्वारा दी गई जो चेक द्वारा एक कंपनी से दूसरे कंपनी में स्थानांतरण के जरिए दी गई, वो भी जब दोनों विनियमित और लेखा परीक्षा में शामिल रहे हैं।