Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

सांसदों और विधायकों को क़ानून की प्रैक्टिस करने से रोकें : बार काउंसिल के चेयरमैन को पत्र [पत्र पढ़े]

LiveLaw News Network
20 Dec 2017 10:28 AM GMT
सांसदों और विधायकों को क़ानून की प्रैक्टिस करने से रोकें : बार काउंसिल के चेयरमैन को पत्र [पत्र पढ़े]
x

बार काउंसिल के चेयरमैन मनन कुमार मिश्र को पत्र लिखकर भाजपा के नेता और एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय ने मांग की है कि सांसदों और विधायकों को एडवोकेट के रूप में क़ानून की प्रैक्टिस नहीं करने दें।

इस पत्र का आधार सुप्रीम कोर्ट का वह फैसला है जो उसने डॉ. हनिराज एल चुलानी बनाम बार काउंसिल ऑफ़ महाराष्ट्र और गोवा, 1996 एआईआर 1708 मामले में सुनाया था। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक व्यक्ति जो वकील होने की योग्यता रखता है उसे बार में प्रवेश नहीं मिलेगा अगर वह फुलटाइम या पार्ट-टाइम सेवा या रोजगार में है या फिर किसी व्यापार, व्यवसाय या पेशे से जुड़ा है।

उपाध्याय ने बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया की धारा VII, अध्याय II और पार्ट VI का जिक्र किया है जिसमें उन अन्य तरह के प्रतिबंधित वाले रोजगारों की सूची का जिक्र है। इसके बाद वह इस तथ्य पर जोर डालते हैं कि कार्यपालिका और न्यायपालिका के सदस्यों को प्रैक्टिस करने की छूट नहीं है जबकि सांसदों और विधायकों को है। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के प्रावधानों के खिलाफ है।

उपाध्याय ने कहा कि ये विधायक “क़ानून को तोड़ने वाले मुवक्किलों” की कोर्ट में मदद करते हैं और यह स्थिति न केवल अनैतिक है बल्कि यह बार काउंसिल के नियम 49 का उल्लंघन भी है।


 
Next Story