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कम उम्र की लड़कियों को वेश्यावृत्ति में धकेलने वाली आरोपी महिला की जमानत सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
19 Dec 2017 7:33 PM GMT
कम उम्र की लड़कियों को वेश्यावृत्ति में धकेलने वाली आरोपी महिला की जमानत सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया [आर्डर पढ़े]
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सुप्रीम कोर्ट ने अनैतिक व्यापार की आरोपी एक महिला को मिली जमानत को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने ऐसा राज्य के यह कहने के बाद किया कि यह महिला अनैतिक व्यापार में संलग्न है और इस पर कम उम्र की लड़कियों को वेश्यावृत्ति में धकेलने के आरोप हैं।

काली को अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी पाया गया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उसकी अपील पर गौर करते हुए उसे जमानत दे दी थी। सुनवाई अदालत ने उसे 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी।

गौरिया स्वयं सेवी संस्था नामक एक एनजीओ, जो कि उत्तरी भारत में बाल वेश्यावृत्ति, दूसरी पीढी की वेश्यावृत्ति और सेक्स ट्रैफिकिंग के खिलाफ काम करता है, ने इस महिला की जमानत को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन किया था।

न्यायमूर्ति एनवी रामना और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर ने कहा कि इस महिला ने अभी तक सिर्फ दो महीने तक का कारावास झेला है जबकि उसको 10 साल की सजा मिली हुई है; और यह इंटर-अपील जमानत के लिए उपयुक्त मामला नहीं है।

कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर हलफनामे पर भी गौर किया जिसमें कहा गया था कि वह एक बड़ा अपराधी है और वह अनैतिक व्यापार और कम उम्र की लड़कियों को वेश्यावृत्ति में धकेलने जैसी गतिविधियोंमें शामिल रही है।

बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा, “हमारे पास उसकी जमानत रद्द करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है और उसे उचित अथॉरिटीज के समक्ष आत्मसमर्पण कर बची हुई सजा काटने के लिए दो सप्ताह का वक्त दिया जा रहा है।”


 
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