अरूण जेटली मानहानि मामला : राघव चड्ढा की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की
LiveLaw News Network
15 Dec 2017 7:48 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें पटियाला हाउस कोर्ट में चल रहे वित्त मंत्री अरूण जेटली आपराधिक मानहानि के मामले को रद्द करने की मांग की गई थी।
शुक्रवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच के सामने राघव की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने दलील दी कि उन्होंने सिर्फ अरविंद केजरीवाल के ट्विट को रिट्विट किया था जो कि IT एक्ट के दायरे में आता है ना कि IPC में। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में इसे लेकर कोई फैसला नहीं है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को इस संवैधानिक मुद्दे पर विचार करना चाहिए।
वहीं चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इस दलीलों से असहमति जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने IT एक्ट के 66 A को रद्द कर दिया है तो इसकी जगह IPC के प्रावधानों ने ले ली है।
वहीं बेंच में शामिल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि कोई व्यक्ति किसी के खिलाफ अपमानजनक ट्विट करता है और दूसरा व्यक्ति ये जानते हुए भी ट्विट में क्या है, उसे रिट्विट करता है तो क्या वो ये कह सकता है कि उसने तो सिर्फ ट्विट को रिट्विट किया है। कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।
इससे पहले आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा को दिल्ली हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली थी। 25 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ किया था कि केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा आप नेता राघव चड्ढा पर दायर आपराधिक मानहानि का केस चलता रहेगा। हाईकोर्ट ने आप नेता की वो याचिका खारिज कर दी थी जिसमें निचली अदालत के समन को चुनौती दी गई थी।
जस्टिस संगीता ढींगरा सहगल ने अपने फैसले में साफ कहा कि वह केवल मेरिट के आधार पर याचिका रद्द रही हैं। याचिका सुनने का कोई आधार नहीं है। वह ट्वीट को री-ट्वीट आपराधिक मानहानि है या नहीं इस मुद्दे को नहीं छू रहीं। यह निचली अदालत में ट्रायल का मुद्दा है। फिलहाल याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला चलाने के पर्याप्त सामग्री है।
हालांकि सुनवाई के दौरान राघव की तरफ से कहा गया था कि उन्होंने दिल्ली डिस्ट्रिक किक्रेट एसोसिएशन (डीडीसीए) विवाद में जेटली के खिलाफ अरविंद केजरीवाल के ट्वीट को री-ट्वीट किया था। ऐसे में उन्हें आपराधिक मामले का आरोपी नहीं बनाया जा सकता। नेता के वकील ने कहा था कि पूरी शिकायत इलेक्ट्रॉनिक रूप से डाउनलोड रिकार्ड और एक समाचार पर आधारित है और आईपीसी के तहत मानहानि का अपराध नहीं बनता है। उन्होंने कहा कि था अगर यह इलेक्ट्रानिक रिकॉर्ड है तो यह सूचना एवं प्रौद्योगिकी कानून के दायरे में होगा।राघव ने पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने 25 सितंबर तक दिल्ली हाईकोर्ट को याचिका के निपटारे का आदेश दिया था।
दरअसल केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने दिसंबर 2015 में डीडीसीए में घोटाले के आरोप लगाने पर अरविंद केजरीवाल, राघव चड्ढा के अलावा कुमार विश्वास, आशुतोष, संजय सिंह और दीपक बाजपेयी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था। इस मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने सभी को बतौर आरोपी समन जारी किए थे। बाद में आरोपियों ने कोर्ट से जमानत ले ली थी। इसके अलावा अरूण जेटली ने दिल्ली हाईकोर्ट में दस करोड रुपये के सिविल मानहानि का मामला भी दाखिल कराया है।