आधार की अनिवार्यता को लेकर पांच जजों की संविधान पीठ में सुनवाई गुरुवार को
LiveLaw News Network
13 Dec 2017 12:06 PM IST
विभिन्न योजनाओं में आधार को अनिवार्य करने को लेकर चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की पीठ अंतिम
रोक के लिए गुरुवार को सुनवाई करेगी। बुधवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने याचिकाकर्ता के जल्द सुनवाई की मांग पर कहा कि मामले की सुनवाई गुरुवार को करेंगे। कई योजनाओं के लिए आधार लिंक करने की डेडलाइन 31 दिसंबर है।
पिछली सुनवाई केंद्र सरकार की ओर से AG के के वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया था कि सरकार जिन लोगों के पास आधार नहीं है, उनके लिए डेडलाइन 31 दिसंबर 2017 से बढाकर 31 मार्च, 2018कर रही है। हालांकि उन्होंने कहा कि मोबाइल से आधार को जोडने की डेडलाइन 6 फरवरी 2018 है जो कि सुप्रीम कोर्ट के ही आदेश के तहत है। इसलिए इसे बढाया नहीं जा सकता।
वहीं याचिकाकर्ता की ओर से श्याम दीवान ने कोर्ट से कहा था कि जिन लोगों के पास आधार हैं और वो इसे लिंक नहीं करना चाहते, सरकार उनके लिए डेडलाइन नहीं बढा रही है। इसलिए अंतरिम रोक लगाने के लिए अगले हफ्ते इस पर
दरअसल याचिकाकर्ताओं की ओर से केस को मेंशन किया गया और बताया गया कि आधार मामले की नवंबर के आखिरी हफ्ते में सुनवाई होनी थी। अब इस मामले को कम से कम अंतरिम आदेश जारी करने के लिए जल्द सुनवाई की जाए।
वहीं पिछली सुनवाई में केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा था कि डेटा प्रोटेक्शन कानून को लेकर बनाई गई कमेटी अपने सुझाव 6 हफ्ते में देगी। ऐसे में जनवरी में मामले की सुनवाई हो। सरकार योजनाओं के लिए डेडलाइन बढाने को तैयार है।
इस दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने इसका विरोध किया और कहा कि सरकार सिर्फ कल्याणकारी योजनाओं के लिए डेडलाइन बढाना चाहती है लेकिन अन्य के लिए नहीं। दो जजों की बेंच ने मामलों को जोडते हुए यही आदेश दिए थे कि अगर नवंबर के आखिरी में सुनवाई पूरी ना हो तो याचिकाकर्ता कोर्ट में अंतरिम रोक की मांग कर सकते हैं। इसलिए मामले की सुनवाई अगले हफ्ते हो।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इस पर कहा कि वो इस पर विचार करेंगे।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की बेंच ने मोबाइल फोन और बैंक खातों से आधार को लिंक करने के खिलाफ कल्याणी मेनन, मैथ्यू थॉमस, तहसीन पूनावाला अन्य की याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर मामले को मुख्य मामले के साथ जोड दिया था। मामलों की सुनवाई संविधान पीठ के सामने होगी।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए के सीकरी की बेंच ने 13 नवंबर को नोटिफिकेशन पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि चूंकि मामले की अंतिम सुनवाई नवंबर में तय है और बैंकों के लिए डेडलाइन 31 दिसंबर है इसलिए अभी कोई अंतरिम आदेश की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा है कि अगर डेडलाइन 31 दिसंबर तक मामले की सुनवाई पूरी ना हो तो इस पर रोक के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल की जा सकती है।
याचिकाकर्ता की ओर से श्याम दीवान और अरविंद दातार ने कोर्ट को बताया था कि बैंकों से मैसेज भेजे जा रहे हैं कि आधार से लिंक कराया जाए। जिनके 30-40 साल पुराने अकाउंट हैं, उनके खिलाफ PMLA एक्ट में कैसे कार्रवाई जा सकती है ? वहीं अन्य याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि मोबाइल कंपनियां भी ऐसे ही मैसेज भेज रही हैं। कॉल के वक्त ये कहा भी जाता है। कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि मैसेज में डेडलाइन के बारे में जानकारी दी जाए।
दरअसल बैंक खातों और मोबाइल नंबर से आधार नंबर को जोडने के अनिवार्य नियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि ये नियम संविधान में अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत दिए मौलिक अधिकारों को खतरे में डालते हैं।