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सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने अभियुक्त के हिरासत की अवधि बताने के लिए ‘फर्स्ट लिस्टिंग’ के प्रोफोर्मा में संशोधन किया [परिपत्र पढ़े]
![सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने अभियुक्त के हिरासत की अवधि बताने के लिए ‘फर्स्ट लिस्टिंग’ के प्रोफोर्मा में संशोधन किया [परिपत्र पढ़े] सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने अभियुक्त के हिरासत की अवधि बताने के लिए ‘फर्स्ट लिस्टिंग’ के प्रोफोर्मा में संशोधन किया [परिपत्र पढ़े]](http://hindi.livelaw.in/wp-content/uploads/2017/08/Supreme-Court-5.jpg)
सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने फर्स्ट लिस्टिंग के प्रोफोर्मा में संशोधन किया है और इसके लिए निर्देश उत्तर प्रदेश बनाम मुन्ना @दीवाना मामले में फैसले के तहत आया।
उपरोक्त आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को आदेश देकर यह सुनिश्चित करने को कहा कि जिन मामलों में लोगों को बरी किए जाते हैं और जितने भी मामले दायर किए जाते हैं उन सबको पंजीकृत करने के दौरान उनमें यह जरूर दर्शाया जाए कि अभियुक्त को कितने दिनों तक हिरासत में रखा गया।
अब इस प्रोफोर्मा के कॉलम 7(e) को इस तरीके से पढ़ा जाता है : “सजा की भोगी गई कुल अवधि नजरबंदी/हिरासत सहित।”
उत्तर प्रदेश बनाम मुन्ना @दीवाना मामले में जारी आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश बनाम त्रिभुवन में आदेश दिया कि अभियुक्त, विचाराधीन कैदी और सजायाफ्ता के रूप में जेल में बिताई गई हिरासत की अवधि को सजा सुनाए जाने के बाद सजा के रूप में माना जाएगा।