न्यायिक तरीके से अलग पत्नी भी गुजारा भत्ता पाने की हकदार : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

7 Dec 2017 3:22 PM GMT

  • न्यायिक तरीके से अलग पत्नी भी गुजारा भत्ता पाने की हकदार : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि न्यायिक तरीके से अलग हो चुकी पत्नी भी भरण- पोषण पाने की हकदार है।

    दरअसल एक पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी क्योंकि ट्रायल कोर्ट के भरण पोषण के आदेश को पटना हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था।

    बेंच पति की उन दलीलों पर विचार कर रही थी जिसमें कहा गया कि  उनकी पत्नी कोड ऑफ क्रिमिनल प्रॉसीजर, 1973 से सेक्शन 125(4) के तहत न्यायिक तरीके से अलग हो चुकी है इसलिए वो भरण पोषण पाने की हकदार नहीं है।

     बेंच ने कहा कि कोर्ट ये बहस खारिज करने के लिए नोट कर रही है क्योंकि इस दलील के लिए कोई ठोस पक्ष नहीं है। अगर कोई तलाकशुदा पत्नी गुजारा भत्ते के लिए हकदार है तो न्यायिक तरीके से अलग हुई पत्नी क्यों नहीं हकदार होगी।

    कोर्ट ने आगे कहा कि वो हाईकोर्ट के इस विचार पर मुहर नहीं लगाएगी कि ट्रायल कोर्ट ने ये नहीं कहा कि पत्नी अपनी देखभाल खुद करने में सक्षम नहीं है, वो भरण पोषण की हकदार नहीं है। हाईकोर्ट को ये देखना चाहिए कि याचिकाकर्ता गुजारा भत्ता पाने का हकदार है या नहीं और अगर है तो कितना।

    बेंच ने मामले को दोबारा हाईकोर्ट भेजते हुए कहा कि ये भी ध्यान रखे की पत्नी को पिछले नौ साल से कोई गुजारा भत्ता नहीं दिया गया है।

    दरअसल हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के चतुर्भुज बनाम सीताबाई मामले का जिक्र करते हुए कहा था कि कोर्ट का दायित्व है कि पत्नी को भरण पोषण भत्ता देने के आदेश देने से पहले दो शर्तों पर गौर करे। ( i) पत्नी खुद की देखभाल करने में सक्षम ना हो और  (ii) पति के पास पर्याप्त तरीके हों लेकिन वो पत्नी को गुजारा भत्ता देने से इंकार या नजरअंदाज करता हो। अगर ये दो बातें सामने नहीं आतीं तो कोर्ट  कोड ऑफ क्रिमिनल प्रॉसीजर, 1973 से सेक्शन 125(1) के तहत गुजारा भत्ता देने के आदेश नहीं दे सकता।


     
    Next Story