रेयान के ट्रस्टियों की अग्रिम जमानत रद्द होगी या नहीं, 11 दिसंबर को फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

6 Dec 2017 9:11 AM GMT

  • रेयान के ट्रस्टियों की अग्रिम जमानत रद्द होगी या नहीं, 11 दिसंबर को फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

    सोहना के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में छात्र की हत्या के मामले में रेयान के ट्रस्टियों सीईओ रेयान पिंटो, उनके पिता अगस्टाइन एफ. पिंटो और मां ग्रेसी पिंटो की अग्रिम जमानत बनी रहेगी या नहीं, सुप्रीम कोर्ट 11 अगस्त को ये फैसला सुनाएगा।

    जस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस ए एम सपरे की बेंच ने बुधवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने की मांग को लेकर छात्र के पिता की अर्जी पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया।

    सुनवाई के दौरान ट्रस्टियों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि वो 50 स्कूल चला रहे हैं। इस मामले में छात्र की हत्या का आरोप दूसरे छात्र पर है। ऐसे में ट्रस्टियों पर हत्या का मामला कैसे चल सकता है ? उन्होंने कहा कि आरोपों को लेकर सीबीआई ने कोई सबूत पेश नहीं किए हैं। इसलिए ट्रस्टियों पर लगे आरोपों को रद्द किया जाना चाहिए।

    वहीं छात्र के पिता के वकील सुशील टिकरीवाल ने इसका विरोध किया और कहा कि आरोपी प्रभावशाली हैं और वो जांच को प्रभावित कर सकते हैं।

    अपनी याचिका में प्रद्युम्न के पिता ने कहा है कि हाईकोर्ट ने ट्रस्टियों को अग्रिम जमानत देकर गलती की है और वो काफी प्रभावशाली लोग हैं। सीबीआई ने भी हाईकोर्ट में कहा था कि वो गवाहों व सबूतों से छेडछाड कर सकते हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट उनकी जमानत रद्द करे।

    गौरतलब है कि इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 16 नवंबर से सुनवाई शुरू की थी और फिर तीनों को सशर्त अग्रिम जमानत दे दी थी। जस्टिस सुरिंदर गुप्ता की बेंच ने सीबीआई से मामले की जांच से जुडी केस डायरी या स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी।

    इस दौरान पिंटो परिवार की और से पेश वरिष्ठ वकील आर एस चीमा ने दलील दी थी कि आरोपियों को एजेंसी ने अभी तक पूछताछ के लिए नहीं बुलाया है और वो सीबीआई जांच में जब भी जरूरत होगी, सहयोग करने को तैयार हैं।  चीमा ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ एजेंसी के पास ऐसा कुछ नहीं है जो उन्हें गिरफ्तार किया जाए।

    वहीं सीबीआई की ओर से पेश वकील सुमित गोयल का कहना था कि इस बात की संभावना है कि स्कूल मालिक हत्या की साजिश में शामिल हों। पहली नजर में लगता है कि प्रबंधन की लापरवाही के चलते ये हत्या हुई। जांच अभी अहम दौर में है और बडी साजिश का खुलासा होना बाकी है। फिलहाल उन्हें राहत दी गई तो जांच में बाधा हो सकती है।

    गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को दस दिनों के भीतर रेयान इंटरनेशनल स्कूल के ट्रस्टियों की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी कर निपटारा निर्देश जारी किए थे। तीनों पांच दिसंबर तक अंतरिम जमानत पर थे।

    हालांकि  चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने हाईकोर्ट के अंतरिम जमानत के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था और  सुप्रीम कोर्ट ने छात्र के पिता की याचिका का निस्तारण कर दिया था।

    13 अक्तूबर को पंजाब एवं  हरियाणा हाईकोर्ट से रेयान इंटरनेशनल स्कूल के तीनों ट्रस्टियों को मिली अंतरिम जमानत के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ट्रस्टियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

    रेयान इंटरनेशनल स्कूल के तीनों ट्रस्टियों को अतंरिम जमानत देने के हाईकोर्ट के फैसले को छात्र प्रद्युम्न के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

    याचिका में बरूण ठाकुर ने कहा था कि आरोपियों को अंतरिम जमानत देकर हाईकोर्ट ने गलती की  है। तीनों ट्रस्टियों ने सबूत मिटाए हैं और जांच अभी प्रारंभिक दौर में है। ऐसे में आरोपी जांच और सबूतों को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए उनकी गिरफ्तारी पर रोक नहीं होनी चाहिए।

    दरअसल सोहना के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में छात्र की हत्या के मामले में आरोप झेल रहे स्कूल के ट्रस्टियों को सात अक्तूबर को एवं हरियाणा हाईकोर्ट से बडी राहत मिल गई थी। हाईकोर्ट ने सीबीआई के विरोध के बावजूद तीनों ट्रस्टियों को अंतरिम जमानत दे दी है और पांच दिसंबर तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।

    सीबीआई की ओर से सुनवाई में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में  सीईओ रेयान पिंटो, उनके पिता अगस्टाइन एफ. पिंटो और मां ग्रेसी पिंटो को अंतरिम जमानत दिए जाने का विरोध किया गया था। सीबीआई ने रेयान पिंटो पर कहा था कि वो मामले की बडी साजिश का हिस्सा हो सकते हैं। वो रेयान के सभी स्कूलों के प्रबंधन में शामिल थे और इस हत्या के बाद सबूत नष्ट करने में भी शामिल हो सकते हैं।

    सीबीआई ने कोर्ट में कहा था कि अभी जांच बेहद अहम मोड पर है और ऐसे में आरोपियों को अंतरिम जमानत नहीं दी जा सकती। सीबीआई ने ये भी कहा कि समाज में सम्मान होने का मतलब ये नहीं है कि उन्हें कानून से अलग जाकर कोई छूट दी जाए। जांच के दौरान ये भी पाया गया है कि प्रबंधन की लापरवाही के चलते ये बडी वारदात हुई। यहां तक कि रोक के बावजूद बस ड्राइवर व अन्य स्टाफ बच्चों के शौचालय में जाते रहे। इन शौचालयों की कई टयूबलाइट तक खराब थीं और बसों में लगे ज्यादातर सीसीटीवी  कैमरे खराब थे। वहीं प्रद्युम्न के पिता ने भी इसका विरोध किया था। लेकिन हाईकोर्ट ने तीनों को अंतरिम जमानत देते हुए कहा कि वो एजेंसी की जांच में शामिल होंगे और देश छोडकर नहीं जाएंगे।

    Next Story