जज भी अदालती आदेश को गलत पढते हैं : SC ने 32 मामलों के आरोपी को जमानत देने के आदेश को रद्द किया [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
4 Dec 2017 10:56 AM IST
ऐसा नहीं है कि वादी या वकील ही अदालती आदेश को गलत पढते हैं। कई बार जज भी ऐसा कर देते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद की एकल पीठ के एक फैसले को पलटते हुए आरोपी की जमानत रद्द की है। पीठ ने हाईकोर्ट की ही एक दूसरी बेंच के फैसले को गलत पढ लिया था।
दरअसल हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 32 आपराधिक मामलों के आरोपी को जमानत दे दी थी और फैसले में कहा था कि सारे मौजूद तथ्यों और मेरिट को देखते हुए हाईकोर्ट की बेंच ने दिवाकर तिवारी उर्फ डब्लू को जमानत देते हुए कहा था कि अभियोजन इस पूरे मामले में अविश्वसनीय है।
लेकिन वास्तव में बेंच ने इस आदेश को गलत तरीके से पढा। असलियत में बेंच ने फैसले में कहा था कि वकील ने कहा है कि वर्तमान केस में अभियोजन द्वारा तैयार की गई कहानी पूरी की पूरी अविश्वसनीय है।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एन वी रमना और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की बेंच ने इस गलती को देखा और कहा कि हाईकोर्ट के जज ने वकील की टिप्पणी को गलत तरीके से समझा और माना कि ये हाईकोर्ट की दूसरी बेंच की मेरिट के आधार पर टिप्पणी है। इसलिए कोर्ट ने उक्त आदेश को रद्द कर दिया और मामले को दोबारा हाईकोर्ट के पास विचार करने के लिए भेज दिया।