छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा मानवाधिकार आयोग मुआवजा देने का निर्देश जारी नहीं कर सकता [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
1 Dec 2017 4:22 PM GMT
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा कि मानवाधिकार आयोग को किसी भी मामले में न्यायिक विवाद का निपटारा कर मुआवजा देने का निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं है। हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य मानवाधिकार आयोग को इस बात का अधिकार है कि वह सिफारिश कर सकती है यानी आयोग सिफारिश करने वाली संस्था है उसे इस बाद का अधिकार नहीं है कि वह मुआवजे का आदेश पारित करे।
छत्तीसगढ़ राज्य बिजली बोर्ड को राज्य मानवाधिकार आयोग ने आदेश दिया था कि वह अवैध बिजली पोल लगाने के मामले में 6 लाख 22 हजार रुपये मुआजवा दे। आरोप था कि बोर्ड ने जयशंकर वर्मा की खेती की जमीन पर बिजली पोल लगा दिए थे। बोर्ड ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
हाई कोर्ट के जस्टिस एस के अग्रवाल की बेंच ने इस मामले में तमाम प्रावधानों का उल्लेक करते हुए कहा कि अगर आयोग को लगता है कि किसी मामले में मानवाधिकार का उल्लंघन हुआ है तो वह सरकार या संबंधित अथॉरिटी को इस के लिए कह सकता है कि वह मामले में मुआवजा भुगतान के लिए आदेश दे। लेकिन कमिशन खुद मुआवजा भुगतान का आदेश नहीं दे सकती। इस मामले में अपील को स्वीकार करते हुए हाई करो्ट ने कहा कि राज्य मानवाधिकार आयोग किसी मामले में सिफारिश कर सकता है लेकिन न्यायिक विवाद का निपटारा कर खुद आदेश नहीं दे सकता। मामले में सरकार की जिम्मेदारी है कि वह आयोग की सिफारिश पर विचार करे।