दिल्ली सरकार Vs LG : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के ‘राष्ट्रहित‘ में दखल की दलील पर सवाल उठाए

LiveLaw News Network

30 Nov 2017 11:33 AM GMT

  • दिल्ली सरकार Vs LG : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के ‘राष्ट्रहित‘ में दखल की दलील पर सवाल उठाए

    दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के उस बयान पर सवाल उठाए जिसमें कहा गया था कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के कामकाज में  राष्ट्रहित में दखल देते हैं।

    बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान ASG मनिंदर सिंह ने संविधान पीठ के सामने कहा कि दिल्ली सरकार को राष्ट्रहित के चलते दिल्ली सरकार को एक्सक्लूसिव प्रशासनिक नियंत्रण नहीं दिया गया।

    लेकिन पीठ ने दिल्ली में मोहल्ला क्लिनिक मामले में उपराज्यपाल के दखल का हवाला देते हुए पूछा कि क्या दिल्ली में हर मामला राष्ट्रहित से जुडा है ?

    ASG ने कहा कि संविधान निर्माताओं की ये ही मंशा थी कि दिल्ली को केंद्रशासित प्रदेश रहे लेकिन इसकी विधानसभा और मंत्रीपरिषद हो। उन्होंने एस बालाकृष्ण एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट भी पेश की जिसे दिल्ली को विशेषाधिकार देने के लिए संविधान में अनुच्छेद 239 AA के संशोधन के लिए गठित किया गया था।

    उन्होंने दिखाया कि किस तरह कमेटी ने सारी संभावनाओं पर विचार किया और निष्कर्ष दिया कि भले ही दिल्ली में चुनी हुई सरकार हो, लेकिन  राजधानी होने की वजह से राष्ट्रहित में एक्सक्लूसिव एग्जीक्यूटिव नियंत्रण नहीं दिया सकता।

    सिंह ने कहा कि राजधानी की कानून व्यवस्था, सामान्य प्रशासन और पब्लिक आर्डर को लेकर केंद्र को सारी शक्तियां देने की रिपोर्ट दी गई। इसी कारण 239AA के तहत दिल्ली सरकार को सारे प्रस्ताव उपराज्यपाल को भेजने होंगे और उपराज्यपाल को सहमत होने या उस पर आपत्ति जताने का अधिकार है। राय में मतभेद होने पर मामले को कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।

    पांच जजों की संविधान पीठ ने मंगलवार को भी केंद्र सरकार पर कई सवाल उठाए। साथ ही सलाह भी दी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने टिप्पणी करते हुए कहा कि उपराज्यपाल और सरकार के मुख्यमंत्री के बीच प्रशासन को लेकर सौहार्द होना चाहिए। इस मुद्दे पर आत्मीयता का रवैया होना चाहिए। राय में मतभेद मामूली बातों पर नहीं होना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि कोर्ट मतभेद का क्षेत्र तय नहीं कर सकता |

    कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए ये भी कहा कि उपराज्यपाल और दिल्ली की चुनी हुई सरकार के बीच मधुर संबंध  होने चाहिए। अगर राय में मतभेद है भी तो उपराज्यपाल को स्टेटसमैनशिप दिखानी चाहिए खासतौर पर जब केंद्र और दिल्ली सरकार में अलग अलग पार्टी की सरकार हो।

    वहीं केंद्र की ओर से पेश ASG मनिंदर सिंह ने कहा कि दिल्ली में सारे प्रशासनिक अधिकार LG को हैं। दिल्ली सरकार के पास अलग से कोई अधिकार नहीं है। अगर दिल्ली सरकार को ये अधिकार दिए गए तो अराजकता फैल जाएगी।

    इस पर पीठ में शामिल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि अगर केंद्र जो कह रहा है वो सही है तो फिर संविधान निर्माताओं ने दिल्ली के UT स्टेटस को संवैधानिक स्टेटस क्यों दिया ?

    पांच जजों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम  खानविलकर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं।

    पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि दिल्ली देश की राजधानी है और ये पूरे देश के लोगों की है। और केंद्र में देश की सरकार है इस लिए दिल्ली पर केंद्र का संपूर्ण अधिकार है। दिल्ली में जितनी भी सेवाएं है वो केंद्र के अधीन है, केंद्र के पास उसके ट्रांसफर, पोस्टिंग का अधिकार है और ये पूरी तरह से केंद्र के अधीन है।साथ ही उपराज्यपाल मंत्रीपरिषद की सलाह को मनाने के लिए बाध्य नही है।  चुनी हुई सरकार सभी मुद्दों को उपराज्यपाल पर सलाह मशवरा करेगी।

    Next Story