17 साल से जेल में बंद हत्या के दोषी को सुप्रीम कोर्ट ने संदेह का लाभ देकर बरी किया [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
28 Nov 2017 5:49 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने एक छोटे से आदेश में हत्या के एक मामले में ट्रायल कोर्ट और फिर हाईकोर्ट द्वारा उम्रकैद की सजायाफ्ता को बरी करने के आदेश दिए हैं। वो 17 साल से जेल में था। हालांकि आदेश में कोई कारण नहीं बताया गया है।
फरवरी 2015 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 27 पेज के फैसले में 1997 में हुई हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा जितेंद्र को सुनवाई गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा था।
अभियोजन ने जसबीर की हत्या के मामले में उसकी पत्नी संतरा और जितेंद्र को आरोपी बनाया था। अभियोजन के अनुसार जसबीर की उसी के घर में हत्या की गई और फिर तलवार से शव के टुकटे टुकडे किए गए। इसके बाद उनको जलाकर राख व हड्डियों को नहर के पास फेंक दिया गया। तलवार भी छिपा दी गई।
हाईकोर्ट ने संतरा और जितेंद्र की सजा को बरकरार रखते हुए कहा कि भले ही अभियोजन मेडिकल सबूतों के चलते मौत के कारण और हड्डियों के जरिए लिंग को साबित नहीं कर पाया लेकिन कोर्ट की नजर में ये संदेह का लाभ देने के लिए पर्याप्त नहीं है।
अपने एक पेज के फैसले में जस्टिस ए के गोयल और जस्टिस यू यू ललित ने कहा कि उन्हें ऐसा कोई सबूत नहीं दिखाई दिया जो दोषसिद्धी को साबित करता हो। दोषी पहले से ही 17 साल से जेल में है।
हालांकि अपने इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने ये कारण नहीं बताया कि वो किस आधार पर दो अदालतों के सहमति से दोषी करार देने के आदेश को रद्द कर रहा है लेकिन इतना जरूर कहा कि आवेदनकर्ता संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं।