सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को आधार को लेकर याचिका में संशोधन की इजाजत दी
LiveLaw News Network
17 Nov 2017 10:29 AM GMT

विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में आधार की अनिवार्यता को चुनौती देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को अपनी याचिका में संशोधन करने की इजाज़त दे दी है।
शुक्रवार को राज्य सरकार की ओर से जस्टिस ए के सिकरी की बेंच में कहा गया कि वो अपनी याचिका में आधार एक्ट को चुनौती देने की बजाए कल्याणकारी योजनाओं में आधार को लेकर जारी नोटिफिकेशन को चुनौती देना चाहता है।
इसी पर बेंच ने संशोधन करने की अर्जी पर सहमति जताते हुए मामले को दो हफ्ते के लिए टाल दिया है।
गौरतलब है कि 30 अक्तूबर को बंगाल सरकार द्वारा कल्याणकारी योजनाओं में आधार की अनिवार्यता के ख़िलाफ़ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कडी नाराजगी जाहिर की थी।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए के सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने ममता सरकार की याचिका पर सवाल उठाए थे।
बेंच ने कहा था कि राज्य सरकार ने एक्ट की वैधता को कैसे चुनौती दी ? किसी संघीय ढांचे में ये कैसे मंजूर किया जा सकता है। अगर चुनौती देनी है को ममता बनर्जी एक नागरिक की तरह चुनौती दें लेकिन चीफ सेकेट्री की ओर से कैसे संसद के कानून को चुनौती दी जा सकती है ? कोर्ट ने कहा था कि कल को केंद्र राज्य सरकार के कानून को चुनौती देने लगेगा ऐसे में राज्य सरकार संसद के कानून को कैसे चुनौती दे सकती है ? हालांकि कोर्ट ने कहा था कि इसमें कोई शक नहीं है इन मामलों पर विचार करना जरूरी है। राज्य सरकार राहत को लेकर याचिका दाखिल कर सकती है।
इस दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि सरकार इसे चुनौती दे सकती है क्योंकि इससे कल्याणकारी योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।खासतौर पर बच्चों व मजदूरों को दी जाने वाली सब्सिडी में दिक्कतें आ रही हैं। हालांकि कोर्ट के रुख के बाद उन्होंने कहा था कि वो याचिका में संशोधन करेंगे।
दरअसल पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक्ट को चुनौती देते हुए कहा था कि इससे मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। सरकार ने अर्जी में कल्याणकारी योजनाओं को आधार से लिंक किए जाने को चुनौती दी थी।