भ्रष्टाचार को माफ नहीं किया जा सकता भले की रकम छोटी हो : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
14 Nov 2017 2:01 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन बनाम सुखवीर सिंह केस में बस ड्राइवर की बर्खास्तगी को बरकरार रखते हुए कहा है कि भ्रष्टाचार को माफ नहीं किया जा सकता भले ही रकम छोटी क्यों ना हो।
जस्टिस अरूण मिश्रा और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने हाईकोर्ट की उस सहमति को रद्द कर दिया जिसमें कहा गया था कि वो ये जांच नहीं करेगा कि जांच अफसर की रिपोर्ट और कारण बताओ नोटिस देने से कर्मचारी को कोई हानि हुई या नहीं।
इस मामले में आरोप ये था कि ड्राइवर ने कंडक्टर के साथ मिलकर निरीक्षण टीम के इशारा करने के बावजूद बस नहीं रोकी क्योंकि बस में कई बिना टिकट यात्री मौजूद थे।
हाईकोर्ट ने ड्राइवर की बर्खास्तगी के आदेशों को मैनेजिंग डायरेक्टर ECIL हैदराबाद व अन्य बनाम बी करूणाकर केस के फैसले के आधार पर रद्द कर दिया।
इसके लिए लेबर कोर्ट के आदेश को रद्द करने के पीछे एकमात्र आधार था कि उक्त कर्मी को कारण बताओ नोटिस से पहले अनुशासनात्मक कार्रवाई की जांच रिपोर्ट नहीं दी गई।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ जांच रिपोर्ट ना दिए जाने भर से ही कर्मचारी को फिर से बहाल नहीं किया जा सकता और ये कर्मचारी पर है कि वो गुहार लगाए व साबित करे कि जांच रिपोर्ट ना दिए जाने से उसे गंभीर हानि का सामना करना पडा है।
कोर्ट ने कहा कि वो संतुष्ट है कि कारण बताओ नोटिस के साथ जांच रिपोर्ट ना दिए जाने से कर्मचारी को कोई हानि नहीं हुई।