शादी के पहले मुस्लिम दंपति के बच्चे वैध वारिस नहीं : मद्रास हाई कोर्ट [मद्रास हाई कोर्ट]

LiveLaw News Network

14 Nov 2017 4:50 AM GMT

  • शादी के पहले मुस्लिम दंपति के बच्चे वैध वारिस नहीं : मद्रास हाई कोर्ट [मद्रास हाई कोर्ट]

    मुस्लिम दंपति के शादी से पहले अगर संतान पैदा हुए हों तो वह संतान वैध नहीं हैं और वह मुस्लिम लॉ के तहत वैध वारिस नहीं हैं। मद्रास हाई कोर्ट ने उक्त व्यवस्था दी है।

    मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि शादी से पहले पैदा हुए संतान कानूनी वारिस नहीं होंगे। मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस आर. सुबैया और जस्टिस पी. वेलमुरुगन ने मुस्लिम क़ानून का हवाला देकर कहा कि अवैध संतान को मां का संतान कहा जाएगा। वह मां का वंशज होगा और उसका वारिस होगा। यह विवाद तब शुरू हुआ था जब एक पिता ने अपनी संपत्ति का वसीयत किया था। इसमें पिता ने दूसरी पत्नी और बच्चों के नाम वसीयत किया। पत्नी के तीन संतान थे। इनमें से एक संतान शादी से पहले हुआ था। जो संतान शादी से पहले पैदा हुआ था वह कानूनी वारिस नहीं होगा। हाई कोर्ट ने कहा कि पिता अपने बच्चों के लिए जब वसीयत करेगा तो वह शादी से पहले पैदा हुआ संतान के नाम वसीयत नहीं हो सकता। मुस्लिम क़ानून के मुताबिक पिता अपने वैध संतानों के नाम एक तिहाई संपत्ति का वसीयत कर सकता है।

     मोहम्मद अंसार का बेटा शाहुल हमीद है जो वैध वारिस नहीं माना गया है। एक तिहाई संपत्ति जो कानूनी वारिस को दी गई उसमें उसका अधिकार नहीं है। मुस्लिम कानून इसकी इजाजत नहीं देता है। लेकिन मुस्लिम कानून इस बात की इजाजत देता है  कि मुस्लिम अपनी एक तिहाई प्रॉपर्टी किसी अनजान को दे सकता है और इस तरह अवैध संतान को उस तरह से वसीयत के जरिये दी जा सकती है और इस तरह 60 हिस्से में 20 हिस्सा उसे दिया जा सकता है। बाकी को 60 में 40  हिस्सा मिलेगा। मृतक की संपत्ति में तमाम कानूनी वारिसों को हिस्सा मिलेगा।

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