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पेटकोक व फ्यूरेंस ऑयल बैन को लेकर NCR की फैक्ट्रियों ने लगाई सुप्रीम कोर्ट ने गुहार, 6 नवंबर को सुनवाई

LiveLaw News Network
31 Oct 2017 2:11 PM GMT
पेटकोक व फ्यूरेंस ऑयल बैन को लेकर NCR की फैक्ट्रियों ने लगाई सुप्रीम कोर्ट ने गुहार, 6 नवंबर को सुनवाई
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NCR की फैक्ट्रियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर उस आदेश में संशोधन की गुहार लगाई गई हैं जिसमें एक नवंबर से फैक्ट्रियों में पेटकोक और फ्यूरेंस ऑयल के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी।

मंगलवार को फैक्ट्रियों की ओर से जस्टिस जे चेलामेश्वर को बताया गया कि  इतने कम वक्त में दूसरे ईंधन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। ऐसे में इस आदेश के तहत ये फैक्ट्रियां बंद हो जाएंगी। उनकी ओर से कहा गया कि कोर्ट इस मामले में उनकी बात सुने और फैक्ट्रियों को कुछ और वक्त दे। इस अर्जी पर जल्द सुनवाई की मांग भी की गई। जस्टिस चेलामेश्वर ने इस अर्जी पर 6 नवंबर को सुनवाई के लिए कहा है।

गौरतलब है कि 24 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट ने NCR में फैक्ट्रियों से निकलने वाले प्रदूषण के लिए मानक तय करने के मामले में केंद्र सरकार पर गहरी नाराजगी जाहिर की थी। कोर्ट ने आदेश में कहा था कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार NCR की फैक्ट्रियों में पेटकोक और फ्यूरेंस ऑयल के इस्तेमाल को रोकने के लिए कदम उठाएं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो एक नवंबर से इन फैक्ट्रियों में पेटकोक व फ्यूरेंस ऑयल के इस्तेमाल पर रोक रहेगी।

मंगलवार को जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (MOEF) पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मंत्रालय को कहा कि अफसर हमेशा हर मामले में देरी करते हैं लेकिन अब जागने का वक्त आ गया है।

दरअसल NCR में फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुंए को लेकर मानक तैयार करने संबंधी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB)  ने 34 कैटेगरी की फैक्ट्रियों के लिए इसी साल जून में मंत्रालय को ड्राफ्ट भेजा था लेकिन मंत्रालय ने इसे ड्राफ्ट नोटिफाई करने के लिए चार महीने का वक्त ले लिया।

 सुनवाई के दौरान मंत्रालय की ओर से पेश ASG मनिंदर सिंह ने कोर्ट को बताया था कि 23 अक्तूबर को ड्राफ्ट नोटिफिकेशन अपलोड किया किया है। इसके तहत 60 दिनों के भीतर लोगों को अपने सुझाव देने के लिए कहा गया है। मंत्रालय जल्द ही प्रभावी कदम उठाएगा।

लेकिन बेंच ने इसी पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि जब ड्राफ्ट मिल गया था तो मंत्रालय ने इतना वक्त क्यों लिया।

दरअसल EPCA ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि NCR में फैक्ट्रियों में पेटकोक और फ्यूरेंस ऑयल का इस्तेमाल होता है जिनकी वजह से प्रदूषण फैलता है। इसी को लेकर कोर्ट ने प्रदूषण पर रोकथाम के लिए फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं के लिए मानक तय करने को कहा था।

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