केरल हाई कोर्ट ने बीसीसीआई की अपील स्वीकार की, श्रीसंत के खिलाफ प्रतिबंध बहाल
LiveLaw News Network
17 Oct 2017 8:24 PM IST
केरल के क्रिकेटर श्रीसंत के लिए बुरी खबर है। केरल हाई कोर्ट की एक खंड पीठ ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) की याचिका को स्वीकार करते हुए श्रीसंत पर लगे आजीवन प्रतिबंध को बहाल कर दिया है। उन पर आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग के मामले में यह प्रतिबंध लगाया गया था। इससे पहले एक एकल पीठ ने श्रीसंत पर बीसीसीआई द्वारा लगाए गए इस प्रतिबंध को समाप्त कर दिया था। इस एकल पीठ के फैसले के खिलाफ बीसीसीआई ने खंडपीठ के समक्ष अपील की थी।
केरल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति नवनीत प्रसाद सिंह और न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन ने इस अपील पर सुनवाई में कहा कि अनुशासनात्मक सुनवाई की जांच रिट के सीमित अधिकारक्षेत्र में ही हो सकता है। रिट कोर्ट फैसले की योग्यता की जांच नहीं कर सकता और मात्र यह पता कर सकता है कि जो निर्णय लिए गए उसकी प्रक्रिया सही थी या नहीं। हालांकि एकल जज ने अपने निष्कर्षों को इस तरीके से प्रयोग किया जैसे कि उसे बीसीसीआई पर अपीली अधिकार प्राप्त है। इसे न्यायिक पुनरीक्षण की सीमा का अतिक्रमण माना गया।
श्रीसंत के इस कथन को अस्वीकार कर दिया गया कि उसके मामले में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का हनन हुआ है। क्रिकेटर ने कहा कि प्राथमिक जांच उस समय की गई जब वह दिल्ली पुलिस की हिरासत में था और उसका पक्ष सुने बिना जांचकर्ता अधिकारी ने निष्कर्ष निकाल लिया। खंडपीठ को जांच अधिकारी के इस कदम में कोई गलती नजर नहीं आई। खंडपीठ ने कहा कि प्राथमिक रिपोर्ट के बाद एक पूरक रिपोर्ट भी तैयार की गई और यह श्रीसंत को नोटिस जारी करने के बाद तैयार किया गया। खंडपीठ ने यह भी कहा कि श्रीसंत ने विशेष रूप से अपने जवाब में लगाए गए आरोपों से इनकार नहीं किया।
कोर्ट ने यह भी कहा कि आपराधिक प्रक्रिया को समाप्त करने का अनुशासनात्मक प्रक्रिया से कोई लेना देना नहीं है। इसलिए दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज आपराधिक मामले को समाप्त करना महत्त्वपूर्ण नहीं है। कोर्ट ने कहा कि एकल पीठ ने कहा था कि जो सजा दी गई वह गैरानुपातिक और कठोर थी। इसका मलतब तो यह हुआ कि एकल पीठ भी इस बात से सहमत थी कि बीसीसीआई ने जो उसको दोषी करार दिया है वह सही है। फिर श्रीसंत बीसीसीआई के भ्रष्टाचार-निरोधी संहिता के समर्थन में शपथ ली थी और स्पॉट फिक्सिंग में शामिल होकर उसने इस संहिता का उल्लंघन किया है।