दिल्ली NCR में दीवाली पर पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

LiveLaw News Network

9 Oct 2017 9:01 AM GMT

  • दिल्ली NCR में दीवाली पर पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने एक बडा फैसला सुनाते हुए दिल्ली और NCR में पटाखे की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी है। ये रोक एक नवंबर तक जारी रहेगी और इसके बाद पटाखों की बिक्री हो सकती है।

    सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि वो ये देखना चाहता है कि इस बार दीवाली पर हालात देखना चाहता है। इसके साथ ही कोर्ट ने सभी लाइसेंस फिर से रद्द करने के आदेश दिए हैं।

    जस्टिस एके सिकरी, जस्टिस अभय मनोहर सपरे और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने शुक्रवार को सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था ।

    शुक्रवार की सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से गोपाल शंकरनारायण ने कोर्ट से कहा कि पटाखों पर पिछले साल नवंबर में लगाए गए बैन के आदेश को लागू किया जाना चाहिए। कोर्ट अपने बिक्री पर रोक हटाने के फैसले को वापस ले। वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वकील विजय पंजवानी ने भी उनका समर्थन किया।

    वहीं पटाखा कंपनियों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आर ए सुंदरम ने कोर्ट में कहा कि पटाखों का प्रदूषण में बडा योगदान नहीं है और आंकडे भी यही कहते हैं। अगर ये बैन लगाया गया तो व्यापार करने के मौलिक अधिकार का हनन होगा। इसके साथ ही उन्होंने कोर्ट से आदेश में संशोधन कर दिल्ली और NCR में दूसरे राज्यों से पटाखे लाए जाने की इजाजत देने की मांग की है।

    दरअसल इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से 12 सितंबर के अपने उस आदेश को वापस लेने की मांग की गई हैजिसमें कोर्ट ने कुछ शर्तो के साथ दिल्ली और एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर लगी रोक हटाई थी। इससे पहले जस्टिस मदन बी लोकुर ने सुनवाई से खुद को अलग कर मामले की सुनवाई के लिए दूसरी बेंच बनाने के लिए चीफ जस्टिस के पास भेजा था। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर लगी रोक सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ हटाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा थी कि दिल्ली में पटाखों की बिक्री के लिए पुलिस की निगरानी में लाइसेंस दिए जाएं। ज्यादा से ज्यादा 500 अस्थाई लाइसेंस ही दिए जा सकेंगे। SC ने कहा है कि 2016 में दिए गए लाइसेंस में से 50 फीसदी को ही लाइसेंस दिया जाए।यही नियम एनसीआर में भी लागू किया जाएगा यानी 2016 में दिए गए लाइसेंस के आधे ही इसबार दिए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि साइलेंस जोन के 100 मीटर के भीतर पटाखे नहीं जलाए जाएंगे। यानी अस्पताल, कोर्ट, धार्मिक स्थल और स्कूल आदि के 100 मीटर के दायरे में पटाखे न चलें। इसके अलावा पटाखे बनाने में लिथियम, लेड, पारा, एंटीमोनी व आर्सेनिक का इस्तेमाल न करने का निर्देश है। दिल्ली और एनसीआर में अगले आदेश तक दूसरे राज्यों से पटाखे नहीं लाए जाएंगे क्योंकि यहां पहले से ही पटाखे मौजूद हैं। 50 लाख किलो पटाखे दिल्ली और एनसीआर में इस दशहरे और दीपावली के लिए पर्याप्त से ज्यादा है। जिन लाइसेंस धारी दुकानदारों के पास पटाखें है वो अपना पटाखा बेच सकते है या दूसरे राज्यों में निर्यात कर सकते है। सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के लाइसेंस पर लगी रोक को अंतरिम रूप से हटाया है क्योंकि कोर्ट ने कहा है दीपावली के बाद एयर क्वालिटी को देखते हुए कोर्ट सुनवाई करेगा।दरअसल 11 नवंबर 2016 को दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पूरे एनसीआर में पटाखों की बिक्री के लिए कोई नया लाइसेंस नहीं देने और पहले से जारी लाइसेंस को निलंबित करने के आदेश दिए थे।

     पटाखों के खिलाफ 6 से 14 महीने के तीन बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर साफ हवा में सांस लेने के अधिकार की मांग करते हुए निर्देश देने की मांग की थी।

    इस याचिका में मांग की गई थी कि दशहरा और दीवाली जैसे त्योहारों पर पटाखों की ब्रिकी पर रोक लगाई जाए। इन बच्चों अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और जोया राव की ओर से उनके पिताओं ने दायर जनहित याचिका में कहा है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के चलते हालात खराब हो रहे हैं।दिल्ली में त्योहार के वक्त पटाखों की वजह से कई बीमारियां भी हो रही हैं। इसके अलावा रोक के बावजूद खुले में मलबा भी फेंका जा रहा है। इसके साथ ही राजधानी के आसपास करीब 500 टन फसलों के अवशेष जलाए जाते हैं। इतना ही नहीं ट्रकों की वजह से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और इनकी वजह से फेंफड़े संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट कोई ठोस दिशा निर्देश जारी करे और प्रदूषण पर रोक लगाए।

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