VVIP हेलीकॉप्टर घोटाले की आरोपी महिला को जमानत नहीं, हाईकोर्ट ने कहा कि आर्थिक अपराध को भारी हाथों से लेने की जरूरत
LiveLaw News Network
18 Sept 2017 10:26 AM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने 3600 करोड के VVIP हेलीकॉप्टर घोटाले की आरोपी दुबई की दो कंपनियों की डायरेक्टर शिवानी सक्सेना को जमानत देने से इंकार कर दिया।
जस्टिस ए के पाठक ने शुक्रवार को कहा कि इस मामले में जो आरोप हैं वो आर्थिक अपराध के तहत आते हैं जो गंभीर स्तर के हैं। ये अपराध पेशेवर तरीके से वाइट कॉलर लोगों द्वारा अंजाम दिए जाते हैं जो देश के स्वास्थ्य और संपत्ति दोनों को नुकसान पहुंचाते हैं। एेसे मामलों को भारी हाथों से लिया जाना चाहिए और आरोपी को जमानत दी गई को पूरा समुदाय प्रभावित होगा व देश की आर्थिक व्यवस्था खतरे में पड जाएगी।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सबूत इकट्ठा किए हैं कि यूके कि अगस्ता वेस्टलैंड इंटरनेशनल लिमिटेड ने तुनिशिया की गोर्डियन सर्विसेज सार्ल और आईडीएस सार्ल के माध्यम से 58 मिलियन यूरो दिए। इन कंपनियों ने पैसे को इंटरस्टेलर टैक्नोलॉजी लिमिटेड से सलाह करार के नाम पर भेजा। फिर यूएचवाई सक्सेना और मैट्रिक्स होल्डिंग लिमिटेड व अन्य के नाम पर ये पैसा ट्रांसफर किया गया।
शिवानी सक्सेना दुबई की यूएचवाई सक्सेना और मैट्रिक्स होल्डिंग लिमिटेड कंपनियों की निदेशक है। ED ने उसे 17 जुलाई को चेन्नई से PMLA मामले में गिरफ्तार किया। फिलहाल वो न्यायिक हिरासत में है।
ED ने आरोप लगाया है कि ये दो फर्म और सक्सेना ने ही अपराध की शुरुआत की और फिर अचल संपत्ति व शेयर आदि खरीदे गए।
शिवानी ने अपनी उम्र और स्वास्थ्य के आधार पर जमानत मांगी थी जबकि सरकार का कहना था कि उसे इस केस में सिर्फ इसलिए जमानत नहीं दी जा सकती क्योंकि वो महिला है। उसे सिर्फ फिजियोथेरेपी की जरूरत है जो जेल में दी जा रही है।
इन दलीलों को मानते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि शिवानी ये बताने में नाकाम रही है कि उसे गंभीर बीमारी है जिसका इलाज मल्टी स्पेशयलिटी अस्पताल में कराया जाना जरूरी है। उसे फिजियोथेरेपी की जरूरत है जो जेल के भीतर, जेल के आसपास या जेल द्वारा मान्यताप्राप्त किसी अस्पताल में कराई जा सकती है। हाईकोर्ट ने शिवानी की जमानत याचिका ये कहते हुए खारिज कर दी कि वो इस मामले में गौर करने लायक खास परिस्थितियां नहीं बता पाईं।