यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने कहा फिलहाल अंतरिम जमानत नहीं
LiveLaw News Network
15 Sept 2017 4:34 PM IST
यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा को फिलहाल जमानत नहीं मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया है।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि जब तक कोर्ट को खरीदारों, उनके निवेश और लंबित प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी नहीं मिलती, जमानत पर विचार नहीं किया जाएगा।इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एमिक्स क्यूरी को एक वेबसाइट बनाने को कहा है जिसमें खरीदार अपने निवेश संबंधी ब्यौरा और सारी जानकारी दे सकें। सुप्रीम कोर्ट अब 22 सितंबर को सुनवाई करेगा।
शुक्रवार को यूनिटेक लिमिटेड के प्रोमोटर संजय चंद्रा और अजय चंद्रा की अंतरिम जमानत को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई की। यूनिटेक लिमिटेड के प्रमोटर संजय चंद्रा को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम ज़मानत नहीं मिल पाई थी।पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने कहा था कि यूनिटेक के कितने प्रोजेक्ट हैं और कितने खरीदार, उनकी देनदारी कितनी है ये सब लिस्ट बनाकर सुप्रीम कोर्ट को दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जो ख़रीदार अपने पैसे वापस लेना चाहते है उनको पैसे देना ही होगा और जो ख़रीदार फ़्लैट या प्लॉट चाहते है उनको देना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगली तारीख पर उन्हें अंतरिम जमानत दी जा सकती है लेकिन इसके लिए कुछ पैसे जमा करने होंगे। उसके बाद हर तीन हफ्ते बाद पैसे जमा कर जमानत ले सकते हैं।सुप्रीम कोर्ट ने पवन सी अग्रवाल को इस मामले में एमिकस क्यूरी बनाया है। एमिकस को लिस्ट बनानी है कि कौन कौन से प्रोजेक्ट है, खरीदार पैसे चाहते है या फ़्लैट या प्लॉट। इस बीच संजय चंद्रा की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक रजिस्ट्री में पांच करोड रुपये जमा कर दिए गए हैं। संजय चंद्रा के वकील ने कोर्ट से अंतरिम जमानत देने की गुहार लगाई लेकिन कोर्ट ने कहा कि इस पर अगली सुनवाई में विचार करेंगे।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा को अंतरिम जमानत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में एक हफ्ते के भीतर पांच करोड रुपये जमा कराने के आदेश दिए थे। साथ ही कहा है कि वो आठ सितंबर को अंतरिम जमानत पर विचार करेगा और इससे पहले 6 सितंबर तक गुडगांव और नोएडा में पूरे होने के नजदीक प्रोजेक्ट में 125 फ्लैट के निवेशकों को कब्जे दिए जाने के लिए कदम उठाए जाएं।हालांकि 24 अगस्त के आदेश के अनुसार चंद्रा 15 करोड रुपये पहले ही जमा करा चुके हैं और अब ये 20 करोड रुपये रजिस्ट्री गुरुग्राम के अंथा प्रोजेक्ट के 158 निवेशकों को दिए जाएंगे।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानवेलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने साफ किया है कि जो निवेशक फ्लैट लेना चाहते हैं उन्हें सुप्रीम कोर्ट फ्लैट दिलाएगा और जो पैसे वापस चाहते हैं उन्हें रुपये वापय कराए जाएंगे।
वहीं बेंच ने याचिकाकर्ताओं के वकील एम एल लाहोटी को गुरुग्राम के विस्टा, नोएडा के बरगंडी और अंबेर प्रोजेक्ट के 125 फ्लैट मालिकों की लिस्ट तैयार कर संजय चंद्रा के अधिकृत एजेंटों को देने के लिए कहा है ताकि वो एक हफ्ते में कागजातों की छानबीन कर कोर्ट को बता सकें कि किन लोगों को वो फ्लैट का कब्जा दे सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा है कि तीन महीने की अंतरिम जमानत तो नहीं दी जाएगी लेकिन ये शर्तें पूरी होने पर कोर्ट तय वक्त के लिए जमानत देने का फैसला देगा।गौरतलब है कि 16 अगस्त 2017 को यूनिटेक के प्रमोटर संजय चंद्रा ने सुप्रीम कोर्ट से वादा किया था कि वो तीन महीने के भीतर निवेशकों के सारे रुपये चुका देंगे और इसके लिए वो अपना घर व दूसरी संपत्ति भी बेचने को तैयार हैं। चंद्रा ने सुप्रीम कोर्ट से तीन महीने के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करने की गुहार लगाई है।
जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच के सामने सुनवाई के दौरान संजय चंद्रा की ओर से पेश वकील अभिमन्यू भंडारी ने कहा था कि उन्हें पैसा इकट्ठा करने लिए जमानत चाहिए। अगर वो जेल में ही रहे तो पूरी कंपनी ढह जाएगी। उनका निवेशकों का पैसा वापस देने के लिए जेल से बाहर आना जरूरी है।
भंडारी ने कहा कि वो नियमित जमानत नहीं मांग रहे हैं बल्कि अंतरिम जमानत मांग रहे हैं और कोर्ट तीन महीने में उसका व्यवहार देखे और अगर वो वादा पूरा ना करे तो दोबारा जेल में डाल दें।दरअसल संजय और उनके भाई अजय चंद्रा को गुडगांव के एक प्रोजेक्ट में निवेशकों से साथ ठगी के आरोप में जेल भेजा गया है। अप्रैल में ट्रायल कोर्ट ने दोनों को तीन महीने की अंतरिम जमानत दी थी जो 11 अगस्त को पूरी हो गई। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने भी राहत देने से इंकार कर दिया था।
संजय चंद्रा ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि 152 निवेशकों ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को शिकायत दी थी जिनमें से 62 लोगों के साथ समझौता हो चुका है। अब करीब 35 करोड रुपये का मूलधन देना बाकी है। अगर वो तीन महीने में ये नहीं चुकाते तो कोर्ट उन्हें सजा दे सकता है।
हालांकि कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था कि कितनी शिकायतें दर्ज की गई और कंपनी को कितना मूलधन देना है। स्टेटस रिपोर्ट में ये भी बताना है कि कितने लोगों को पैसा वापस किया गया और कितने लोगों ने फ्लैट लिया है। साथ ही कितने निवेशकों को कंपनी ने पैसे वापस नहीं किए।
गौरतलब है कि दिल्ली निवासी अरूण बेदी और उनकी मां उर्मिला बेदी की शिकायत पर दिल्ली की कोर्ट ने 27 जुलाई 2015 को दिल्ली पुलिस को केस दर्ज करने के आदेश दिए थे। इसके बाद 31 जुलाई को पुलिस ने केस दर्ज किया था। शिकायत में कहा गया है कि उन्होंने अगस्त 2011 में गुडगांव के वाइल्ड फ्लावर कंट्री प्रोजेक्ट में 57.34 लाख में फ्लैट बुक कराया लेकिन कंपनी ने फ्लैट नहीं दिया। इसके बाद अन्य कई शिकायतें पुलिस के पास पहुंची। पुलिस का कहना है कि कंपनी ने करीब 363 करोड रुपये इकट्ठा किए और इनमें से 91 शिकायतकर्ताओं के करीब 35 करोड रुपये हैं।